लोलार्क छठ पर लाखों श्रद्धालुओं ने लोलार्क कुण्ड में संतति कामना की डुबकी लगाई
—रविवार की आधी रात के बाद से स्नान का सिलसिला अनवरत, कड़ी सुरक्षा के बीच लोग डुबकी लगाने के लिए अपनी बारी का किए इंतजार
वाराणसी, 09 सितम्बर (हि.स.)। भाद्रपद के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि लोलार्क छठ पर सोमवार को संतान प्राप्ति की कामना से श्रद्धालुओं ने भदैनी स्थित संकरे लोलार्क कुण्ड में आस्था की डुबकी लगायी।
पूरे विश्वास के साथ कुंड में पति-पत्नी ने एक दूसरे का हाथ पकड़ कर डुबकी लगाने के बाद अपने गीले वस्त्र और आभूषण कुंड में ही छोड़ दिया। नुकीली सुईयों से बिंधे हुए फल भगवान सूर्य को चढ़ाकर सन्तान प्राप्ति के लिए उनसे गुहार लगायी। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने लोलार्केश्वर महादेव के दरबार में भी हाजिरी लगाई। कुंड में आधी रात के बाद से सुबह 08 बजे तक दो लाख से अधिक श्रद्धालु डुबकी लगा चुके थे। जबकि लाखों पति-पत्नी कतार में अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे। लोलार्क कुंड में किसी प्रकार का हादसा या भगदड़ न मचे, इसके लिए जिला प्रशासन ने सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया है। कुंड पर सुरक्षा व्यवस्था को परखने के लिए खुद संयुक्त पुलिस आयुक्त डॉ. के एजिलरसन, अपर पुलिस आयुक्त एस चिनप्पा पहुंचे।
अफसरों ने कुंड में उतरकर सुरक्षा व्यवस्था को परखने के बाद अफसरों को दिशा निर्देश दिया। इसके पहले कुण्ड में स्नान के लिए श्रद्धालु रविवार अपराह्न से ही लम्बी लाइन में कतारबद्ध होकर स्नान के लिए अपनी बारी का इन्तजार कर रहे थे। श्रद्धालुओं ने अस्सी से लोलार्क कुंड और उधर शिवाला से भदैनी तक की गयी बेरिकेडिंग में चादरें बिछा कर अपनी-अपनी जगह छेक ली थी। भीषण धूप उमस के बावजूद आस्था इस कदर हिलोरे मार रही थी कि कतार मदनपुरा के समीप पहुंच गई।
अस्सी और भदैनी क्षेत्र में फल-फूल, पूजन सामग्री, भतुआ, श्रीफल, कदंब के फल, साथ ही बनावटी पायल बिछिया, नाक की कील और नथुनी जैसे जेवरों की सजी अस्थायी दुकानें भी एक दिन पहले से ही लग गई थीं। मेला क्षेत्र से जुड़ने वाली सड़कों पर जिला प्रशासन ने यातायात प्रतिबंधित कर दिया था। मेला क्षेत्र में सड़क की दुर्दशा और गंदगी के चलते श्रद्धालु काफी सांसत में रहे। वहीं, मेला के चलते लंका, रेवड़ी तालाब, भेलूपुर, रविन्द्रपुरी, संकुलधारा, कमच्छा आदि इलाकों में लोग भीषण जाम से जूझते रहे।
उधर, रविन्द्रपुरी स्थित अघोराचार्य बाबा कीनाराम की तप स्थली 'क्रीं कुण्ड' में भी निसंतान दम्पतियों ने सन्तान प्राप्ति के लिए डुबकी लगायी। यहां मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखण्ड से भी श्रद्धालु स्नान के लिए आये थे। मान्यता है कि इस विशेष अवसर पर क्रीं कुंड मे स्नान से पुत्र प्राप्ति की बाधा तो दूर होती ही है। असाध्य चर्म रोगों से भी मुक्ति मिलती है। यहां आश्रम में बीते रविवार की दोपहर से ही श्रद्धालु आने लगे थे।
लोलार्क कुण्ड की पौराणिक मान्यता
भाद्रपद के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को लेकर पौराणिक लोक मान्यता है कि लोलार्क कुंड में सूर्य की पहली किरण के साथ स्नान करने से सभी मनोकामना पूरी होती है। माना जाता है कि देवासुर संग्राम के समय भगवान सूर्य के रथ का पहिया इसी स्थान पर गिरा था। इससे ही कुंड का निर्माण हुआ था। इसी स्थान पर लोलार्क नाम के असुर का भगवान सूर्य ने वध किया था। यह भी कहा जाता है कि महाभारत काल में कुंती को सूर्य उपासना से ही दानवीर कर्ण जैसे पुत्र की प्राप्ति हुई थी। इस कुण्ड का जीर्णोद्धार महारानी अहिल्या बाई होलकर, अमृत राव और कूंच विहार स्टेट के महाराज ने करवाया था। लोलार्क कुंड का वर्णन गहरवाल के ताम्रपत्रों, महाभारत, स्कंदपुराण के काशी खंड, शिव रहस्य, सूर्य पुराण और काशी दर्शन में विस्तार से किया गया है। इस कुंड में स्नान के दौरान एक फल भी वैवाहिक दंपति को इसमें प्रवाहित करना होता है। फिर पूरे एक साल तक उस फल का सेवन नहीं करना होता है। एक बार जिन माताओं की सूनी गोद यहां स्नान के बाद भर जाती है, वे अपनी मन्नत पूरी होने पर यहां दोबारा आती हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी
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