पर्यटन पर 1000 करोड़ हुए खर्च, पर नहीं बढ़े विदेशी सैलानी
– गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली का हाल
कुशीनगर, 28 अप्रैल (हि. स.)। जिले के महापरिनिर्वाण मंदिर में स्थित गौतम बुद्ध की पांचवी सदी की प्रतिमा सैलानियों को शोक, चिंता और शयन मुद्रा में दिखाई देती है। इसी से कुछ मिलती जुलती स्थिति यहां के पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों की भी हो गई है।
दरअसल एयरपोर्ट के साथ साथ पर्यटन आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के एक दर्जन परियोजनाओं पर कार्य होने के बाद भी विदेशी सैलानियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। साल 2020 तक विदेशी सैलानियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा था। आंकड़ा एक लाख पहुंचने के करीब था। आंकड़ा घटते-घटते पैतीस प्रतिशत पर आ गया हैं, जिससे पर्यटन व्यवसाई चिंतित हैं। स्थिति यह है कि कोविड के पूर्व के साल 2019 में दर्ज विदेशी सैलानियों का आंकड़ा जहां 80147 था। वर्तमान समय में घटकर 35780 रह गई है। जबकि बीते पांच साल के भीतर पर्यटन आधारित संसाधनों में राज्य एवम केंद्र सरकार ने एक हजार करोड़ की रकम खर्च की है। अकेले एयरपोर्ट निर्माण पर 600 करोड़ खर्च हुए।
प्रो पुअर टूरिज्म, रिवर साइट डेवलपमेंट, लाइट एंड साउंड शो, कैफेटेरिया, बौद्ध विपश्यना केंद्र, बुद्धा थीम पार्क, सड़क, पार्किंग, प्रसाधन पर 400 करोड़ की रकम खर्च हुई है। एक अक्टूबर से लेकर 31 मार्च तक के पर्यटन सीजन के दौरान यहां चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, भूटान, श्रीलंका, अमेरिका, सिंगापुर, थाईलैंड, म्यांमार, इंडोनेशिया आदि देशों से विदेशी पर्यटक आते रहे हैं। सर्वाधिक 50 प्रतिशत की भागीदारी थाईलैंड के पर्यटकों की हैं। अन्य देशों की बात छोड़ दे तो कोविड के बाद से थाईलैंड के सैलानियों का आंकड़ा पांच अंक पार नहीं कर पाया। चीन से संबंध खराब होने के कारण पर्यटक नहीं आ रहे, अघोषित रूप से जापान की स्थिति भी ऐसी ही हैं। पर्यटन उद्योग के लिए इन तीन देश के सैलानी भारी पड़ते थे। आर्थिक रूप से समृद्ध होने के कारण इन देशों के सैलानी ज्यादा पैसा खर्च करते हैं। ऐसे में पर्यटन व्यवसाय की स्थिति घसीट कर चलने वाली हो गई है। पर्यटन उद्योग में आई मंदी से उद्योग से जुड़े लोग छटनी, पलायन का शिकार होने के साथ न्यूनतम भुगतान पर कार्य करने को मजबूर हैं। पर्यटन उद्योग से जुड़े पंकज कुमार सिंह बताते हैं कि बौद्ध सर्किट के पर्यटन की स्थिति ठीक नहीं हैं। इस पर सरकार को ध्यान देना होगा।
पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए बौद्ध देशों में राजनयिक पहल करने होगी। सरकार के स्तर पर वहां टूर ट्रैवल कंपनियों और आपरेटर के साथ समन्वय बनाकर इवेंट ,कैंपेनिंग प्रोग्राम चलाने होंगे। सरकारी प्रयासों के बिना संख्या वृद्धि संभव नहीं है।
हिंदुस्थान समाचार/गोपाल/दीपक/बृजनंदन
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