सम्पूर्ण जगत का कल्याण करते हैं भगवान शिव-प्रदीप मिश्र

सम्पूर्ण जगत का कल्याण करते हैं भगवान शिव-प्रदीप मिश्र
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सम्पूर्ण जगत का कल्याण करते हैं भगवान शिव-प्रदीप मिश्र




कुशीनगर,14 फरवरी(हि.स.) अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध कथा वाचक मध्यप्रदेश के सीहोर वासी प्रदीप मिश्र ने कहा कि शिव सम्पूर्ण जगत का कल्याण करने वाले हैं। जो जिस भाव से महादेव की कथा सुनता है उसी भाव से उसको लाभ मिलता है। शिव की महिमा अपरंपार है। यदि ब्रह्मा अपने सभी मुखों से शिव महिमा का वर्णन करें तो भी शिव महिमा का गुणगान पूरा नहीं कर पाएंगे। 33 करोड़ देवी- देवताओं में केवल महादेव ही हैं जो सिंहासन(कुर्सी,पलंग आदि) पर नहीं बैठते। सिंहासन पर बैठने वाला व्यक्ति गिर सकता है,लेकिन पृथ्वी पर बैठने वाला गिर नहीं सकता। जो ऊपर बैठता है उसे नीचे आना है। नीचे वाला हमेशा ऊपर ही जायेगा। यह करने वाले केवल महादेव ही हैं।

गुरुवार को रामाभार स्तूप के निकट शिव महापुराण की कथा दूसरे दिन कथा वाचक ने कहा कि जब तक व्यक्ति सत्ता में होता है तभी तक उसका महत्व है। जब तक पद पर रहें लोगों का भला करते रहें। जो जैसा कर्म करेगा उसका उसी के अनुसार फल भी मिलेगा। श्रेष्ठ कर्म करने से आनन्द की अनुभूति होती है। शिव की कथा का बैठकर श्रवण करना महत्वपूर्ण है। शिव भक्ति में कोई दिखावा नहीं है।

उन्होंने सलाह दिया कि शिव मंदिर में शिवलिंग के सामने सेल्फी नहीं लेना चाहिए क्योंकि सेल्फी लेने से हमारे ऊपर शिव की कृपा नहीं हो पाती। केवल भगवान का दर्शन करना चाहिए। कहाकि हवा दिखती नहीं लेकिन वह हमारा साथ नहीं छोड़ती है। उसी तरफ महादेव दिखते नहीं है। शिव को जल व बेलपत्र चढ़ाने वालों का वह कभी साथ नहीं छोड़ते। शिव की पूजा कर पार्वती अमर हो गयी। शिव का जप करने से मुख समस्त पापों का नाश करने वाला तीर्थ हो जाता है और जो उस मुख का दर्शन करता है, उसे सभी तीर्थों का दर्शन हो जाता है। दुनिया की सबसे बड़ी सफलता यह है कि प्राण छोड़ते समय कोई प्रायश्चित, दुःख न हो। भगवान बुद्ध को यह सफलता मिली थी। मरने के बाद चिन्ता चिता हो जाती है।

वर्तमान में दुःख बटता नहीं अपना हो गया है। पहले मकान छोटे होते थे तब दुःख नहीं था। आज संसाधन बढ़े, मकान बड़ा हुआ तो दुःख भी बढ़ गया। सभी लोग अपने में व्यस्त हो गए है। पहले जब परिवार छोटा होता था तब किसी को दुख होता था तो सभी चिंता करते थे। आज सभी व्यस्त हैं कोई किसी की चिंता नहीं करता।

आरती के साथ दूसरे दिन की कथा का समापन हुआ। संचालन आशीष ने किया। मुख्य आयोजक पूनम पाण्डेय, ओमप्रकाश पाण्डेय, विनयकान्त मिश्र, ज्ञानेश्वर जायसवाल उर्फ ज्ञानी, राजन जायसवाल आदि ने आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई एवम् संत श्री का अभिनंदन किया।

हिंदुस्थान समाचार/गोपाल

/बृजनंदन

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