काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने की बथुआ के दीर्घकालीन भंडारण की तकनीक विकसित

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने की बथुआ के दीर्घकालीन भंडारण की तकनीक विकसित
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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने की बथुआ के दीर्घकालीन भंडारण की तकनीक विकसित


—बथुआ और अन्य पत्तेदार सब्जियां सर्दी के मौसम में उगाई जाती है

वाराणसी,24 अप्रैल(हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग ने बथुआ के दीर्घकालीन भडांरण की तकनीक विकसित किया है। विभाग में कार्यरत सहायक प्रोफेसर सुनील मीणा एवं बी.आर.ए.बी.यू. के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र राय और उनकी टीम ने कम उपयोग वाली कृषि फसल जैनोपोडिम एल्बम (बथुआ) पर अध्ययन कर इसके दीर्घकालीन संरक्षण की तकनीक विकसित की है। इसमें प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं । लेकिन फसल ज्यादा दिन टिकाऊ नहीं होती है। अब इसे संरक्षित कर ऑफ सीजन में भी उपयोग किया जा सकेगा। डॉ. सुनील मीणा ने बताया कि उचित संरक्षण विधियों का इस्तेमाल कर बथुआ जैसे पोषक तत्वों से भरपूर पौधों की प्रजातियां गरीबी, भूख एवं कूपोषण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं । साथ ही आय बढ़ाने,खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद करती हैं। बथुआ और अन्य पत्तेदार सब्जियां सर्दी के मौसम में उगाई जाती है। उनमें पानी की मात्रा अधिक होने के कारण जल्दी खराब हो जाती हैं । सर्दी में अत्यधिक उत्पादन अपर्याप्त भडांरण, परिवहन और प्रसंस्करण क्षमता के कारण इन मौसमी सब्जियों की भारी बर्बादी होती हैं । इन मौसमी सब्जियों को संरक्षित करने वाली संरक्षण तकनीकों का उपयोग और पता लगाना महत्वपूर्ण हैं, ताकि इनका उपयोग ऑफ-सीजन में किया जा सके। सुखाना एक प्राचीन तकनीक है, जिससे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने पर भोजन को सरक्षित कर सकते हैं। साथ ही लंबे समय तक संग्रहीत और उपयोग किया जा सकता है। डॉ. मीणा एवं प्रो. राय के नेतृत्व वाले शोध दल में कृषि विज्ञान संस्थान के सहायक प्रोफेसर सुनील मीणा, एवं बी. कीर्ति रेड्डी के साथ ही एम.पी.ए.यू.टी. उदयपुर के डॉ. कमलेश कुमार और प्रियब्रत गौतम शामिल रहे। अध्ययन का निष्कर्ष विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हुआ हैं। डॉ. सुनील मीणा ने कहा कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण में वृद्धि के कारण खाद्य असुरक्षा एवं वैश्विक चुनौती के रूप में सामने आई हैं। वैश्विक खाद्य सुरक्षा से निबटने के लिए कई प्रयास किया गए है। डॉ. मीणा ने बताया कि अध्ययन में सी. एल्बम (बथुआ) को संरक्षित करने और भंडारण स्थिरता पर फोकस किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम

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