त्योहार हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने का एक सशक्त माध्यम : योगेश शुक्ल
- देव दीपावली का पर्व एक नई ऊर्जा और ऊष्मा प्रदान करता है
प्रयागराज, 27 नवम्बर (हि.स.)। कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली के पावन पर्व पर कार्तिक महोत्सव आयोजन समिति के तत्वावधान में बलुआघाट यमुना तट पर स्थित बारादरी पर मां यमुना की भव्य आरती की गई। मुख्य अतिथि भाजपा के वरिष्ठ नेता योगेश शुक्ला ने कहा कि हमारे प्राचीन संस्कृति की विशेषता रही है कि हम अपने सभी त्यौहार परंपरागत रूप से मनाते हैं। त्योहार हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने का एक सशक्त माध्यम है। विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा देव दीपावली का पर्व हम सबको एक नई ऊर्जा और ऊष्मा प्रदान करता है।
सोमवार की सायं कार्तिक महोत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष महेंद्र कुमार पांडेय एवं महामंत्री तथा उत्तर प्रदेश शासन के राज्य विधि अधिकारी शशांक शेखर पांडेय के मार्गदर्शन में मां यमुना की भव्य आरती के साथ मां यमुना मैया की पवित्र लहरों पर 31,000 दीपदान नाव से किया गया। इस दौरान घाट पर आतिशबाजी भी की गई। बारादरी को आकर्षक विद्युत झालरों से सजाया गया।
योगेश शुक्ल ने आगे कहा कि कार्तिक मास हमें अंधेरे से प्रकाश की ओर जाने का मार्ग दिखाता है। पूरा कार्तिक मास स्नान, ध्यान और दीपदान के लिए प्रसिद्ध है।
इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां यमुना का दर्शन पूजन करते हुए घाट को दीपों से सजाया और दीपदान करके यमुना मैया का आशीर्वाद प्राप्त किया। ऐसा लगा जैसे लाखों सितारे जमीन पर उतर आए हों, यमुना के जल में टिमटिमाते दिए आकर्षण का केंद्र रहे। कार्यक्रम का संयोजन करते हुए समिति के अध्यक्ष महेंद्र कुमार पांडेय ने अतिथियों एवं श्रद्धालुओं का स्वागत किया। यमुना मैया की भव्य आरती, दीपदान के साथ ही उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के नामचीन कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक संध्या का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
मुख्य आरती करने के पश्चात उत्तर प्रदेश शासन के अपर शासकीय अधिवक्ता शशांक शेखर पांडेय ने कहा कि सनातन संस्कृति की परम्परा में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। देव प्रबोधिनी एकादशी के अवसर पर श्रीहरि के जागरण के पश्चात कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवतागण दीपावली मनाते हैं। इसीलिए इस दिन को देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। आज के दिन पवित्र नदियों के तट पर दीपदान करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस अवसर पर महोत्सव के सह संयोजक सुरेंद्र सिंह, प्रतीक त्यागी, कृष्ण गोपाल पांडेय, प्रवीण केसरवानी, मुन्नू लाल, गोपाल कृष्ण पांडेय, आर.पी.शास्त्री, महेंद्र सिंह, शिवनाथ केसरवानी, राज अग्रहरी, कृष अग्रहरी, दत्तात्रेय पांडेय, रामचंद्र अग्रहरी, कृपाशंकर कुशवाहा, सनी केसरी, पप्पू जायसवाल, अंगज सोनकर आदि प्रमुख रूप से कार्यक्रम में सहयोगी रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/प्रभात
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