कांची शंकराचार्य ने मां विशालाक्षी, मीनाक्षी देवी के दरबार में किया दर्शन पूजन
वाराणसी, 11 नवम्बर (हि.स.)। कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती ने मां विशालाक्षी, मीनाक्षी, कामाक्षी देवी का दर्शन पूजन किया। दीपोत्सव पर्व पर हनुमान घाट स्थित कांची मठ में कांची काम कोटि पीठम के शंकराचार्य ने देवी के रजत प्रतिमा का विधि विधान से पूजन किया। इस दौरान उन्होंने दीपावली पर्व पर तेज आवाज वाले पटाखों का इस्तेमाल नहीं करने की लोगों से अपील भी की।
मठ के प्रबंधक बीएस सुब्रमण्यम मणि ने बताया कि दीपोत्सव पर्व पर सभी को अन्न समृद्धि प्रदान हो इस उद्देश्य से मंदिर परिसर में 21 वैदिकों द्वारा मां अन्नपूर्णा का मंत्र का जाप एवं हवन का कार्य कार्यक्रम चल रहा है। इसकी पूर्णाहूति रविवार को दोपहर 1.30 बजे होगा। इस अनुष्ठान का उद्देश्य देश में अच्छा कृषि उत्पादन, लोगों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दीपोत्सव सनातनी परंपरा के त्योहारों में से एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्योहार कार्तिक अमावस्या को पूरे भारत में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में भी दीपावली मनाने की परंपरा है। चतुर्दशी की तिथि में प्रातः काल के समय में गर्म पानी से स्नान करते हैं। ऐसा करने से गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है। ऐसी परंपरागत मान्यता है कि प्रातः काल के समय में तेल हल्दी से स्नान करना, नए वस्त्र धारण करना, मंदिरों का दर्शन करना, रिश्तेदारों, परिचित लोगों से मिलकर गंगा का स्मरण करते हुए एक दूसरे का अभिवादन करते हैं और गणेश लक्ष्मी का पूजन करते हैं। दीपावली रितु संधि काल है। दीपावली के बाद से शीतकाल शुरू हो जाता है। उन्होंने बताया कि मठ परिसर में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जा रहा है। अर्चना निगम के संयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रम शाम को 6:30 बजे से रात 8 तक चल रहा है। सांस्कृतिक आयोजन और धार्मिक अनुष्ठान का स्थानीय लोग इसका लाभ उठा रहे हैं और काफी संख्या में लोग दर्शन पूजन को मठ में आ रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश
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