कल्पवास विज्ञान एवं अध्यात्म का अद्भुत समन्वय : लक्ष्मण आचार्य
-जिस देश का प्रधानमंत्री आध्यात्मिक पथ पर चलता है उसकी उन्नति तय
-हमें अपनी संस्कृति और परम्पराओं को जीवंत रखना होगा : गणेश केसरवानी
प्रयागराज, 04 फरवरी (हि.स.)। कल्पवास के माध्यम से मनुष्य के अंदर आध्यात्मिक चेतना का संचार होता है और आत्मउन्नति के लिए हम कल्पवास में साधना करते हैं। आत्मा का परमात्मा से मिलन जो जीवन का लक्ष्य होता है, उसकी अनुभूति होती है। कल्पवास से समाज में संस्कारों का निर्माण होता है। इसलिए कल्पवास विज्ञान एवं अध्यात्म का अद्भुत समन्वय है।
यह बातें सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने माघ मेला क्षेत्र तुलसी मार्ग के श्री कृष्ण जन सेवा समिति पांडाल में कल्पवास महात्म्य व्याख्यान में सम्बोधित करते हुए कही।
उन्होंने आगे कहा कि पराधीनता के काल में आक्रांताओं ने हमारे युवा पीढ़ी को हमारी संस्कृति, परम्परा, हमारे अध्यात्म, ज्ञान विज्ञान से भटकाने का काम किया। उन्होंने हमारे अंदर झूठ फैला कर कहा कि हमारी, भाषा, परम्परा, हमारे मूल्य, माता-पिता का उद्घोष, देवी देवता का नाम अच्छे नहीं है और धीरे-धीरे हमारे अंदर आत्महीनता पैदा की।
उन्होंने हमारे शिक्षा का केंद्र पुस्तकालय जो दुनिया को ज्ञान का संदेश देती रही ऐसे नालंदा, पंचशीला, तक्षशिला, विक्रमशिला को जला डाला जो महीनों जलता रहा। लेकिन जो हमारे मन में और हृदय में रचा बसा है हमारी संस्कृति, हमारी परम्परा हमारे अध्यात्म का ज्ञान को मिटा नहीं पाए। इस ताकत के साथ आज भारत अपने अध्यात्म ज्ञान के कारण बढ़ रहा है। लोग हमारी संस्कृति, अध्यात्मिक शक्ति एवं हमारे योग शक्ति को स्वीकार कर रहे हैं।
आचार्य ने कहा कि कल्पवास के माध्यम से हम भजन, भोजन, भ्रमण, भेष, भाषा, भवन के परिधि में आते हैं जो हमको हमसे जोड़ता है। उन्होंने कहा कि जिस देश का प्रधानमंत्री आध्यात्मिक पथ पर चलता है उस देश की उन्नति तय है। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अध्यात्म के पथ पर चलकर पूर्ण विधि के अनुसार व्रत का पालन कर श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा मंदिर का निर्माण का कार्य पूर्ण कर इस देश की प्रगति का रास्ता तय कर दिया है।
विशिष्ट अतिथि बटुक महाराज ने कहा कि हम आत्मशुद्धि और ईश्वर से जुड़ने के लिए कल्पवास के दौरान जप, तप करके परम तत्व की शक्ति से जुड़ते हैं और लोक कल्याण और मानव कल्याण की कामना करते हैं। अध्यक्षता करते हुए महापौर गणेश केसरवानी ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति और परम्पराओं को जीवंत रखना होगा और हमें संकल्प लेना होगा। हमें संस्कार युक्त समाज का, बेहतर राष्ट्र निर्माण, विकसित भारत का निर्माण और स्वच्छ समृद्धि शक्तिशाली आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है।
इस अवसर पर राम सुमनदास महाराज, ओमकार दास महाराज, डॉ विक्रम सिंह पटेल, राजेश केसरवानी, राजू पाठक, अर्चना शुक्ला, अजय अग्रहरि, शत्रुघ्न जायसवाल, सचिन मिश्रा, गिरजेश, राजन शुक्ला, संस्कार सिन्हा, आयुष अग्रहरि, पद्माकर श्रीवास्तव, राजेश शर्मा एवं सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त
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