यादव बंधुओं ने कलश यात्रा निकाल किया श्री काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक
-सावन माह के पहले सोमवार पर निभाई परम्परा, सिर्फ 21 लोगों को जलाभिषेक की अनुमति पर जमकर विरोध प्रदर्शन
वाराणसी, 22 जुलाई (हि.स.)। सावन माह के पहले सोमवार पर यादव बंधुओं ने परम्परागत रूप से श्री काशी विश्वनाथ दरबार में बाबा का जलाभिषेक किया।
जिला प्रशासन के निर्देश पर पहली बार मंदिर के गर्भगृह में 21 यादव बंधुओं ने बाबा के पावन ज्योर्तिलिंग पर जलाभिषेक किया। समाज के अन्य लोगों ने गर्भगृह के बाहर बने पात्र से जलाभिषेक कर समाज के सैकड़ों वर्ष पुरानी परम्परा का निर्वहन किया। इसको लेकर समाज के लोगों में नाराजगी भी दिखी। जलाभिषेक के लिए आए दर्जनों यादव बंधुओं ने सिर्फ 21 लोगों को जलाभिषेक की अनुमति मिलने पर गोदौलिया चौराहे पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
इसके पहले यादव बंधु गोवर्धन पूजा समिति और चन्द्रवंशी गोप सेवा समिति के बैनर तले परंपरागत तरीके से चांदी व पीतल के कलश लेकर हजारों की संख्या में केदार घाट पर जुटे। घाट पर कलश में गंगा जल भरकर कलश यात्रा निकालकर गौरी केदारेश्वर मंदिर में पहुंचे। यहां यादव बंधुओं ने श्री गौरी केदारेश्वर महादेव का जलाभिषेक कर यात्रा शुरू की। यहां से यादव समाज का ध्वज लेकर डमरू बजाते युवाओं का दल आगे-आगे चल रहा था। हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए यादव बंधुओं ने चांदी व पीतल के कलश कंधे पर रख परम्परागत गत मार्ग से तिलभांडेश्वर महादेव, दशाश्वमेध स्थित शीतला मंदिर आह्लादेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया।
इसके बाद श्री काशी विश्वनाथ दरबार का जलाभिषेक करने के लिए धाम के रास्ते से ही यादव बंधु ललिताघाट पहुंचे। यहां से जल लेकर श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे। दरबार में 21 यादव बंधुओं ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक कर समाज के मंगल की कामना की। इसके बाद छठें पड़ाव दारानगर स्थित महामृत्युंजय मंदिर में रवाना हुए। यादव बंधु त्रिलोचन महादेव, ओमकारेश्वर महादेव, लाट भैरव का जलाभिषेक कर वार्षिक कलश यात्रा का समापन करेंगे। कलश यात्रा में शामिल यादव बंधुओं के विशेष परिधान लोगों में आकर्षण का केन्द्र रहा। बच्चों और युवाओं के साथ बुर्जुगों ने भी सफेद गंजी, गमछा पहन आंखों में सुरमा लगा वार्षिक कलश यात्रा में पूरे ठसक से भागीदारी की।
चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष लालजी यादव के अनुसार साल 1932 में इस यात्रा की शुरूआत हुई थी। काशी और आसपास के जिलों में वर्ष 1932 में भीषण अकाल पड़ा था। तब शीतला गली में रहने वाले पांच दोस्त भोला सरदार, कृष्णा सरदार व बच्चा सरदार और ब्रह्मनाल के चुन्नी सरदार व रामजी सरदार ने संकल्प लिया कि वह बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करेंगे। पांचों दोस्तों के जलाभिषेक के बाद यदि बारिश हुई तो अगले साल से पूरा यदुवंशी समाज सावन में बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करेगा। पांचों दोस्तों ने गौरी केदारेश्वर से लाटभैरव मंदिर के बीच विश्वनाथ मंदिर सहित सात शिवालयों, भैरव मंदिर और एक शक्ति पीठ में जलाभिषेक किया। फिर बारिश हुई और तब से वह परंपरा आज तक लगातार जारी है। उन्होंने बताया कि जलाभिषेक यात्रा में केदार घाट स्थित गौरी केदारेश्वर मंदिर, तिलभांडेश्वर महादेव, दशाश्वमेध स्थित शीतला मंदिर, आह्लादेश्वर महादेव, श्री काशी विश्वनाथ, महामृत्युंजय, त्रिलोचन महादेव, ओमकारेश्वर महादेव और लाटभैरव का जलाभिषेक करने की परंपरा है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / राजेश
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