अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बताया गया बाबू जगजीवन राम का योगदान

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अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बताया गया बाबू जगजीवन राम का योगदान


मेरठ, 05 अप्रैल (हि.स.)। चौधरी चरण सिंह विवि में बुधवार को बाबू जगजीवन राम की जयंती पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने सम्मेलन में सामाजिक न्याय के क्षेत्र में बाबू जगजीवन राम के योगदान को याद किया। इसके साथ ही अंतराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में सामाजिक न्याय पर प्रकाश डाला।

चौधरी चरण सिंह विवि की बाबू जगजीवन राम शोधपीठ और भारतीय राजनीतिक विज्ञान परिषद के तत्वावधान में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। ’अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में सामाजिक न्याय’ विषय पर चाणक्य सभागार में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। राजनीतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. राजेंद्र पांडे ने अतिथियों का स्वागत किया।

केंद्रीय विवि प्रयागराज की पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के अध्यक्ष प्रो. मधुरेंद्र कुमार ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य के रूप में सामाजिक न्याय की पाश्चात्य एवं भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा पर आधारित बहुत सी अवधारणाएं वर्तमान समय में कार्य कर रही है। उन्होंने सामाजिक न्याय को मानवीय सभ्यता का एक आवश्यक पहलू बताया। समाज में विद्यमान रूढ़िवादिता की पहचान व उसके हल हेतु कार्य करना सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने विश्व को एक विभिन्न असमानता वाला वैश्विक वातावरण बताया। प्रो. दाता मान, प्रो. एलेना हंस ने वैश्विक परिदृश्य के रूप में सामाजिक न्याय की अवधारणा को स्पष्ट किया।

उन्होंने यूरोपियन यूनियन में सामाजिक न्याय की अवधारणा एवं भाषाई आधार पर न्याय की वर्तमान समय में क्या प्रासंगिकता यूरोपियन यूनियन में है इसके बारे में बताया। उन्होंने रूस और यूक्रेन के युद्ध के दौरान स्लोवाक रिपब्लिक में आ रहे शरणार्थियों जिनमें विशेषताएं महिलाएं व बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के बारे में बताया। बाबा मस्तनाथ विवि रोहतक के कुलपति प्रो. आरएस यादव ने वैश्विक परिदृश्य के संदर्भ में सामाजिक न्याय के विभिन्न पहलुओं की समझ को उजागर करने पर बल दिया उन्होंने नवीन राष्ट्रीय आर्थिक क्रम उत्तर दक्षिण संवाद एवं विभिन्न पश्चिमी विचार को के सामाजिक न्याय से संबंधित विचारों को व्यक्त किया।

पूर्व कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि सामाजिक न्याय यत पिंडे तद् ब्रह्मांडे है। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन अंत्योदय को सामाजिक न्याय का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि समाज में जो विभेद है। उनका एकमात्र उपाय यह है कि हम सभी मान लो को मिलकर उस विभेद को समाप्त करना होगा क्योंकि सभी मनुष्य इस ब्रह्मांड में एक ही तत्वों से बने हुए हैं।

प्रो. संजीव शर्मा ने सम्मेलन में प्रतिभाग करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्मेलन में प्रो. नावेद जमाल, प्रो. उपेंद्र चौधरी, प्रो. रेखा सक्सेना, प्रो. संतोष कुमार सिंह, प्रो. श्याम मोहन अग्रवाल, प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. कौशल किशोर मिश्रा, प्रो. रविंद्र कुमार, प्रो. केसी गुप्ता, डॉ. जयवीर राणा, डॉ. सुषमा रामपाल, नितिन त्यागी, यतेंद्र सिंह, मानसी त्यागी, डॉ. देवेंद्र उज्ज्वल, प्रो. संजय सिंह, प्रो. अनिल मलिक, अमित कुमार आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/कुलदीप

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