टीबी को लेकर 'सतत चिकित्सा शिक्षा' के जरिए चिकित्सकों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाना जरूरी : सीएमओ
वाराणसी, 15 दिसम्बर (हि.स.)। पूरे देश को वर्ष 2025 तक टीबी (क्षय) मुक्त करने की दिशा में सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग और निजी मेडिकल कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में ‘सतत चिकित्सा शिक्षा’ (सीएमई) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन गया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी के निर्देशन में आयोजित इस कार्यशाला में अधिकारियों के द्वारा टीबी के कारण, लक्षण, स्क्रीनिंग, निदान एवं सम्पूर्ण उपचार के साथ जागरूकता पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही कॉलेज के नव आगंतुक चिकित्सकों की जिज्ञासा का समाधान भी किया गया।
कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जीएन श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम को लेकर सतत चिकित्सा शिक्षा के माध्यम से चिकित्सकों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाना था, जिससे टीबी रोगियों व जनमानस को बेहतर सेवाएं मिल सकें। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने कहा कि वर्ष 2025 तक क्षय मुक्त भारत को लेकर देश के प्रधानमंत्री का विजन तभी पूरा हो सकता है जब ज्यादा से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग हो और किसी भी टीबी रोगी का नोटिफिकेशन न छूटे। साथ ही टीबी रोगी सम्पूर्ण उपचार के दौरान एक भी दिन दवा खाना न छोड़ें। टीबी के सम्पूर्ण उपचार के लिए उसका कोर्स का पूरा होना बहुत जरूरी है।
कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ज़ोनल ऑफिसर ने भी विचार जताया। कार्यक्रम में कालेज के प्राचार्य डॉ वीके मेहता ने अतिथियों का स्वागत किया।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/पदुम नारायण
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