अंतर्दृष्टि हमें अधिक सतत और तकनीकी रूप से उन्नत कृषि भविष्य की ओर ले जाएगी: एस.गणेश
कानपुर,20 नवम्बर (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में 10 नवंबर से शुरू हुए दस दिवसीय नैनो टेक्नोलॉजी की भूमिका पर अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (एएआरडीओ) के सहयोग से एक अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए रविवार की देर शाम आईआईटी कानपुर के कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर एस गणेश ने यह कार्यक्रम विचारों और नवाचारों का एक संगम है जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे नैनो तकनीक सतत कृषि पद्धतियों में क्रांति ला सकती है।
उन्होंने कहा कि हमें इस अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम की मेजबानी करने पर गर्व है और हमें यकीन है कि यहां साझा की गई अंतर्दृष्टि हमें अधिक सतत और तकनीकी रूप से उन्नत कृषि भविष्य की ओर ले जाएगी।
इस मौके पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग और डिज़ाइन विभाग के प्रोफेसर जे. रामकुमार ने कहा, एएआरडीओ और आईआईटी कानपुर के बीच सहयोग कृषि में अनुसंधान और विकास के लिए नए रास्ते खोलेगा। इस कार्यशाला में कृषि में माइक्रोबियल उत्पादों से लेकर फसल सुरक्षा में बायोडिग्रेडेबल कार्बन-आधारित नैनोमेटेरियल्स की भूमिका तक शामिल विषयों की विविध श्रृंखला, कृषि में सतत प्रथाओं को बदलने में नैनो टेक्नोलॉजी की विशाल क्षमता को उजागर करती है।
उन्होंने आगे कहा कि आईआईटी कानपुर-एएआरडीओ अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यशाला एक ऐतिहासिक कार्यक्रम रही है और जिसने सतत कृषि और नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचारों के लिए भविष्य के सहयोग के लिए एक मिसाल कायम की। यह भविष्य के अनुसंधान और कार्यशैली को प्रेरित और मार्गदर्शन करेगा, जिससे अधिक सतत और कुशल कृषि पद्धतियों का मार्ग प्रशस्त होगा।
आईआईटी के मीडिया प्रभारी ने बताया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने हाल ही में सतत कृषि के लिए पौधों की वृद्धि और फसल सुरक्षा में नैनो टेक्नोलॉजी की भूमिका पर अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (एएआरडीओ) के सहयोग से एक अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की मेजबानी की। 10-19 नवंबर तक आयोजित इस कार्यक्रम ने विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को खाद्य सुरक्षा और कृषि में स्थिरता सुनिश्चित करने की गंभीर वैश्विक चुनौती को पूरा करने के लिए समाधानों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच प्रदान किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. एस. वी. शुक्ला के उद्घाटन सत्र से हुई, जिसने अगले पूरे सप्ताह के लिए सूचनात्मक सत्रों और ज्ञानवर्धक चर्चाओं का माहौल तैयार किया। कवर किए गए विषयों में बागवानी के लिए एक सतत माइक्रोक्लाइमेट बनाने में नैनोमेटेरियल्स की भूमिका से लेकर पौधों के पोषण में नैनो-जैव प्रौद्योगिकी के संभावित अनुप्रयोगों तक शामिल थे। उल्लेखनीय सत्रों में स्मार्ट कृषि पद्धतियों, फसल वृद्धि के लिए टिकाऊ रसायन विज्ञान और कृषि में ड्रोन और एग्री वोल्टिक प्रणालियों के उपयोग पर चर्चा शामिल थी।
कार्यशाला का मुख्य आकर्षण व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए अनुसंधान पर जोर देना था, जिसमें प्रोफेसर मैनक दास द्वारा लैब: नैनोमटेरियल्स डेवलपमेंट एंड टेस्टिंग और एफएफडीसी कन्नौज की यात्रा के दौरान लैब: कल्टिवेशन ऑफ फ्लैवर एण्ड फ्रैग्रन्स प्लांट जैसे सत्र शामिल थे। एग्रीवोल्टिक सिस्टम: सोलर पीवी एण्ड ऐग्रिकल्चर और ग्रीन सिमुलेशन मॉडल इन एग्रीकल्चर जैसे सत्रों ने न केवल सैद्धांतिक प्रगति पर चर्चा करने बल्कि वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करने के लिए कार्यक्रम की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
कार्यशाला में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ; राष्ट्रीय चीनी संस्थान, कानपुर; फ्रेग्रन्स एंड फ्लैवर डेवलपमेंट सेंटर, कन्नौज और अन्य संगठनों की भी भागीदारी थी, जो विभिन्न दृष्टिकोणों को एकीकृत करने और कार्यशाला को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण थे।
प्रो. जे. रामकुमार, (एचएजी), एमई और डिजाइन विभाग, एफएनएई, एफईटीई, एफआईई (आई), एससी अग्रवाल चेयर प्रोफेसर, ImLab, मेडटेक लैब और रुटैग आईआईटी कानपुर के समन्वयक और डॉ. अमनदीप सिंह, एफआईई (आई), एमआईईईईई, एलएमआईएसटीई, इंस्टीट्यूट एंबेसडर, आईआईसी आईआईटी कानपुर, इस कार्यक्रम के समन्वयक थे। एएआरडीओ की ओर से, डॉ. संजीब बेहरा, हेड, आईईसी डिवीजन, एएआरडीओ और कमल धमेजा, तकनीकी अधिकारी, एएआरडीओ कार्यक्रम समन्वयक थे।
हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/मोहित
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