पहल: विद्यार्थियों के मनोवैज्ञानिक कल्याण केंद्रित कार्यशाला में शामिल हुए कुलपति प्रो. सुधीर जैन
वाराणसी,19 फरवरी (हि.स.)। विद्यार्थियों के विकास और कल्याण के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सर्वांगीण विकास पर केंद्रित एक व्यापक योजना को कार्यान्वित किया गया है। इसमें मानसिक कल्याण व स्वास्थ्य के विभिन्न पक्षों पर विद्यार्थियों के साथ साथ शिक्षकों के लिए भी कार्यशालाएं और सत्र शामिल हैं। सत्र में मनोवैज्ञानिक चुनौतियों के विभिन्न पहलुओं को बेहतर ढंग से समझने में शिक्षक समर्थ व सक्षम हो इस पर भी जोर है। सोमवार को विश्वविद्यालय के नीति निर्माताओं एवं शीर्ष शैक्षणिक प्रशासकों के लिए कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यशाला में लगभग 40 प्रतिभागी शामिल हुए, जिसमें स्वयं कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन भी उपस्थित थे। साथ ही साथ कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह, संस्थानों के निदेशक, संकाय प्रमुख, तथा विश्वविद्यालय के अन्य वरिष्ठ अफसरों ने भी उत्साह से भागीदारी की। संस्था ‘मानस’ के सहयोग से कार्यशाला में विभिन्न गतिविधियां हुई। इसमें लघु नाटकों का मंचन, दर्शकों के समक्ष निश्चित समयावधि के युवाओं की मानसिक स्थिति को व्यक्त करना इत्यादि शामिल था।
प्रतिभागियों ने विभिन्न पहलुओं पर मंथन किया तो मनोवैज्ञानिक साक्षरता की कमी तथा स्व-जागरूकता के बीच के अंतर को दूर करने के बारे में अपने विचार भी साझा किये। सत्र के संचालन के दौरान मानस संस्था की संस्थापक निदेशक मीनाक्षी कीर्तने ने कहा कि कार्यशाला का प्रयास संस्थान के शीर्ष नेतृत्व को व्यक्तिगत स्तर पर, विद्यार्थियों के संदर्भ में, तथा संस्थागत रूप से मानसिक स्वास्थ्य के विविध पक्षों के प्रति जागरूक और क्रियात्मक बनाना है। उन्होंने यह भी कहा कि मानसिक रूप से स्वस्थ संस्थान अपने छात्रों के कल्याण और मार्गदर्शन के लिए उपाय, पहल, तथा अवसर उत्पन्न करेगा। मीनाक्षी कीर्तने ने कहा कि ऐसा तभी संभव हो पाएगा, जब हमारे शैक्षणिक प्रशासक आवश्यक क्षमताओं और कौशल से समृद्ध होंगे।
कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि बदलते वक्त के साथ शिक्षक-विद्यार्थी संबंधों में भी परिवर्तन आ गया है। जैसे जैसे समाज बदल रहा है, विद्यार्थियों की ज़रूरतों व आवश्यकताओं में भी बदलाव आया है। ऐसे में हमें भी विद्यार्थियों की चिंताओं के अनुरूप स्वयं को ढालना होगा और देखना होगा कि उनके सर्वांगीण विकास के लिए हमें और क्या पद्धतियां अपनानी चाहिए। प्रो. जैन ने कहा कि यह कार्यशाला इस बुनियादी विषय का समाधान सुझाती है।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/बृजनंदन
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