भावनाओं को समझना शब्दों से ज्यादा जरूरी : प्रो. सीमा सिंह
प्रयागराज, 11 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. सीमा सिंह ने कहा कि अशाब्दिक सम्प्रेषण शाब्दिक सम्प्रेषण से ज्यादा असर डालता है। भावनाओं को समझना शब्दों से ज्यादा जरूरी है। भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है एवं किसी वाक्य को बोलते समय भाव उस वाक्य का अर्थ बदल देता है।
मानविकी विद्या शाखा के तत्वावधान में सोमवार को महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती अवसर पर भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन किया गया। कुलपति ने कहा कि मॉ और भाषा का गहरा रिश्ता है। जिसे हम मातृ भाषा कहते हैं। इसी मातृ भाषा से हम बचपन से जुड़ते हैं और बड़े होने के बाद हमारी भाषा में विभिन्न भाषाओं के शब्द समावेशित हो जाते हैं। शिक्षक का कर्तव्य है कि वह अध्ययन सामग्री को जटिल शब्दों की अपेक्षा सरल शब्दों में प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि भाषा में टोन का बहुत बड़ा महत्व होता है। भाषा में लयबद्धता का होना व्यक्तित्व का परिचायक है। भाषा ऐसी होनी चाहिए जिससे सम्प्रेषण आसानी से हो जाए।
इस मौके पर संगोष्ठी एवं गीत गायन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रारम्भ में समारोह के समन्वयक व मानविकी विद्या शाखा के निदेशक प्रो.सत्य पाल तिवारी ने वाचिक स्वागत एवं संयोजक प्रो. विनोद कुमार गुप्ता ने विषय प्रवर्तन किया। संचालन डॉ अब्दुल रहमान तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने किया। इस अवसर पर प्रो. एसपी तिवारी, प्रो. रुचि बाजपेई, डॉ साधना श्रीवास्तव, डॉ अतुल कुमार मिश्रा, डॉ अब्दुर्रहमान फैसल, डॉ सफीना समावी आदि ने विचार, गीत आदि प्रस्तुत किये।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/राजेश
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