विश्व का सबसे बड़ा उर्वरक आयातक देश है भारत : निदेशक

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विश्व का सबसे बड़ा उर्वरक आयातक देश है भारत : निदेशक


कानपुर, 05 जून (हि.स.)। विश्व पर्यावरण दिवस पर स्पेंटवाश ड्राई और पोटाश डिराइव्ड मोलासेस इकाई का उद्घाटन करते हुये राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की निदेशक प्रो. सीमा परोहा ने कहा कि देश में उर्वरकों की खपत अधिक और उत्पादन बहुत कम है। भारत में सालाना उपयोग किये जाने वाले उर्वरक की मात्रा वैश्विक उपयोग का केवल 16.1 प्रतिशत है। देश के किसानों को प्रमुख पोषक तत्वों की कमी यथा-नाइट्रोजन 25 प्रतिशत, फास्फोरस 90 प्रतिशत और पोटैशियम का सौ प्रतिशत आयात करना पड़ता है। जिसमें बहुमूल्य विदेशी मुद्रा व्यय होती है। हम विश्व में सबसे बड़े उर्वरक आयातक हैं।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार किसानों के लिये उर्वरकों की दर कम रखने के लिये बड़ी मात्रा में सब्सिडी प्रदान करती है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के लिये लगभग 21.5 बिलियन डॉलर रूपये आवंटित किये थे।

सहायक आचार्य कृषि रसायन डा. अशोक यादव ने कहा कि पोषक तत्वों से भरपूर स्पेंटवाश ड्राई पावडर, पोटाश डिराइव्ड मोलासेस एवं सी.बी.जी. (कंप्रेस्ड बायो गैस) बनने के उपरांत प्राप्त द्रव खाद व फर्मेंटेड आर्गेनिक खाद के अन्य आवश्यक पोषक तत्वों को मिलाकर आवश्यकतानुसार उर्वरक तैयार करने की प्रायोगिक इकाई की स्थापना से उर्वरक उत्पादन के नये अवसर तैयार होंगें। इस प्रक्रिया में जैविक रूप से रसायन रहित बर्मी कंपोस्ट एवं कंपोस्ट का भी उत्पादन संभव होगा। संस्थान में विभिन्न चरणों में परीक्षण के उपरांत इन उर्वरकों का संस्थान के फार्म हाउस में परीक्षण होगा। इसके पश्चात विस्तृत रूप से किसानों के इस्तेमाल हेतु फैक्ट्रियों को तकनीक स्थानांतरित की जायेगी। यह कार्य उर्वरकों के क्षेत्र में गेम चेंजर होगा और इससे उर्वरकों की गुणवत्ता बढ़ेगी और लागत में कमी आयेगी।

निदेशक ने बताया कि भविष्य में हमारी योजनामृदा परीक्षण के उपरांत उसमें जिस पोषक तत्व की कमी होगी, उसके अनुरूप जैविक खाद तैयार करने की भी है। चीनी मिलों से तैयार स्पेंटाश ड्राई, पोटाश डिराइव्ड मोलासेस और सी.बी.जी. से तैयार उत्पाद आत्मनिर्भर भारत की ओर एक महत्वाकांक्षी कदम है जो किसान भाइयों को कम लागत में अधिक पोषक तत्वों के प्रयोग को बढ़ावा देता है। इस दिशा में चीनी मिलों से संस्थान को कई प्रोजेक्ट मिले हैं, जिन पर तेजी से कार्य हो रहा है। इसके पूर्ण होने पर चीनी मिलों को भी अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/राजेश

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