शहर में आठ अक्टूबर तक चलेगा स्कूल आधारित विशेष टीकाकरण अभियान
गोरखपुर, 26 सितंबर (हि.स.)। डिप्थीरिया (गलघोंटू) और टिटनेस से बचाव के लिए शहर में आठ अक्टूबर तक स्कूल आधारित विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। एडी हेल्थ डॉ एनपी गुप्ता और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे की मौजूदगी में अयोध्या दास गर्ल्स इंटर कॉलेज से गुरूवार को इस अभियान का शुभारंभ हुआ। इसके तहत शहर के 275 स्कूलों में सत्र लगा कर छूटे हुए बच्चों को डीपीटी बूस्टर और टीडी का टीका लगाया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि कक्षा एक में पढ़ने वाले पांच वर्ष के बच्चों को डीपीटी टू बूस्टर डोज, कक्षा पांच में पढ़ने वाले दस वर्ष के विद्यार्थियों को टीडी दस और कक्षा दस में पढ़ने वाले सोलह वर्ष तक के किशोर किशोरियों को टीडी सोलह वैक्सीन लगाई जाएगी। विशेष टीकाकरण सत्र 30 सितम्बर, 01 अक्टूबर, 05 अक्टूबर, 07 अक्टूबर और आठ अक्टूबर को लगाए जाएंगे। इस दौरान पांच वर्ष तक के कक्षा एक में पढ़ने वाले 1154 बच्चों को डीपीटी का बूस्टर डोज, 10 वर्ष तक के कक्षा पांच के 2324 बच्चों को और 16 वर्ष के कक्षा दस के 1384 किशोर किशोरियों को उनके स्कूल में टीके लगाए जाएंगे।
इस अवसर पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ नंदलाल कुशवाहा ने छात्राओं को बताया कि नियमित टीकाकरण बारह प्रकार की जानलेवा बीमारियों से रक्षा करता है। इन बीमारियों में डिप्थीरिया (गलघोटू) और टिटनेस भी शामिल हैं। इनसे बचाव के लिए ही छूटे हुए बच्चों को उनके स्कूल और कॉलेज में टीका लगाया जा रहा है।
इस अवसर पर उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ हरिओम पांडेय, सहायक शोध अधिकारी अजीत सिंह, डब्ल्यूएचओ एसएमओ डॉ विनय शंकर, यूनिसेफ के डीएमसी डॉ हसन फहीम, यूएनडीपी संस्था के प्रतिनिधि पवन सिंह, जेएसआई संस्था के प्रतिनिधि अभिषेक उपाध्याय और स्वास्थ्य विभाग के सहयोगी आदिल फखर प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
लक्षण आए तो न घबराएं
सीएमओ ने बताया कि टीकाकरण के बाद कुछ बच्चों में बुखार और इंजेक्शन वाली जगह पर लालिमा या सूजन की दिक्कत हो सकती है । यह सामान्य प्रतिक्रिया है और इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। इससे बचाव के उपाय बताने के साथ साथ बुखार की दवा भी दी जाती है ।
जानलेवा है गलघोटू और टिटनेस
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दूबे ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डिप्थीरिया (गलघोटू) संक्रामक रोग है जो संक्रमित मरीज के सम्पर्क में आने के दो से पांच दिन में फैलता है। गले में खराश और बुखार के लक्षणों के साथ यह धीरे धीरे गंभीर रूप ले लेता है। इसके कारण सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है और ह्रदय की मांसपेशियों में सूजन और नुकसान, गुर्दे में समस्या और प्लेटलेट कम होने से खून निकलने लगता है। ह्रदय गति असामान्य हो सकती है और पक्षाघात की भी आशंका रहती है । मरीज के खांसने और छींकने के दौरान निकलने वाले श्वसन बूंदों से यह फैलता है। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत मिलने वाली इसकी तीन खुराकों के साथ साथ बचपन और किशोरावस्था के दौरान तीन बूस्टर खुराक भी आवश्यक है। इसी प्रकार टिटनेस भी एक तीव्र संक्रामक रोग है, जो नवजात शिशुओं और गर्भवती के लिए ज्यादा गंभीर है । क्लोस्ट्रीडियम टेटानी नामक जीवाणु के बीजाणुओं के साथ इसका संक्रमण किसी कट या घाव के कारण होता है। इसके अधिकांश मामले संक्रमण के चौदह दिन के भीतर होते हैं। जो लोग टिटनेस से ठीक हो जाते हैं उनके दोबारा भी संक्रमित होने की आशंका रहती है और इसीलिए इसका टीकाकरण आवश्यक है। इसके संक्रमण के कारक बीजाणु पर्यावरण में हर जगह पाए जाते हैं और यह भी किसी आयु वर्ग में हो सकता है ।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय
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