भगवान के चरित्रों का गुणानुवाद करना ही जीव का श्रेष्ठ फल : कथा व्यास

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भगवान के चरित्रों का गुणानुवाद करना ही जीव का श्रेष्ठ फल : कथा व्यास


--श्री हनुमत निकेतन सिविल लाइंस में श्रीमद्भागवद् कथा का सातवां दिन

प्रयागराज, 10 मई (हि.स.)। सनातन एकता मिशन की ओर से हनुमत निकेतन, सिविल लाइंस में श्रीमद्भागवद् कथा महापुराण के सातवें दिन वृंदावन धाम से आए कथाव्यास पं.प्रशान्त कुमार मिश्र ने प्रद्युम्न के जन्म की घटना, जरासंध वध, शिशुपाल वध, सुदामा चरित्र समेत एकादश और द्वादश स्कंध पर प्रवचन करते हुए भागवद् कथा पूर्ण किया।

शनिवार को कथाव्यास ने बताया कि भगवान के चरित्रों का गुणानुवाद करना ही जीव का श्रेष्ठ फल है। जीव का कर्तव्य है कि वह भगवान के नाम को लेकर अपने आंतरिक मल को उसी तरह से नष्ट कर ले, जैसे सोना अग्नि में तपने के बाद अपने मल को नष्ट कर लेता है।

इसके पूर्व सनातन एकता मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं अशोक कुमार पाठक ने श्रीमद्भागवद्, देवी-देवताओं और कथा व्यास की आरती किया। उन्होंने तीर्थराज प्रयागराज के संगम तट पर श्रीमद्भागवद् कथा को परिवार सहित सुनने से मिलने वाले अक्षय पुण्य पर अपनी बात रखी। पं अशोक कुमार पाठक ने कहा कि प्रयागराज के संगम तट की भूमि का वह महत्व है जो कोई सपने में सोच नहीं सकता है। क्योंकि सृष्टि के शुभारम्भ से पूर्व जगत पिता ब्रह्मा ने पहला यज्ञ प्रयागराज के दशाश्वमेध घाट दारागंज में किया था। यह धरती वंदनीय, अभिनंदनीय और बारम्बार पूज्यनीय है।

कथा में सनातन एकता मिशन के राष्ट्रीय संरक्षक पं देवराज पाठक, शैलेन्द्र अवस्थी, दिवाकर मिश्र, भोला नाथ, विपुलेश त्रिपाठी, सीता शरण शास्त्री, एस के पांडेय, दिवाकर तिवारी, नीरज दीक्षित, बृजबली तिवारी, राजेश पांडेय आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

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