रामनगर रामजानकी मंदिर में मातृ शक्ति ने भगवान राम को सुनाई पारंपरिक गारी
वाराणसी, 23 जनवरी (हि.स.)। स्वदेशी जागरण मंच काशी महानगर की पहल पर रामनगर, जनकपुर, रामलीला मैदान स्थित रामजानकी मंदिर में मातृ शक्ति ने सुंदर कांड का सस्वर वाचन किया। मंदिर मं भजन कीर्तन के साथ मातृ शक्ति ने भगवान राम को वर तथा स्वयं को जनकपुर का वासी मानते हुए पारंपरिक गारी भी गाया। इसके बाद चूड़ा मटर व बुनिया का भोग लगाकर प्रसाद स्वरूप इसका वितरण भी कराया।
मंच की महानगर संयोजिका कविता मालवीय और नगर कार्यवाह अरुण सिंह की देखरेख में लगभग 2000 हजार लोगों में प्रसाद बांटा गया। भगवान राम और माता जानकी के पूजन अर्चन के बाद आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में नन्ही नृत्यांगना आस्था ने 'मेरी चौखट पर चल के आज...' गीत पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। शाम को मंदिर परिसर में दीपदान का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मंजू त्रिवेदी, नमिता, जानकी, गुड़िया के साथ रामनगर जनकपुर की मातृ शक्ति ने भी सहभागिता की।
गौरतलब हो कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर में रामलला के नवीन विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर शिव की नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ के मंदिर सहित चार हजार से अधिक मंदिरों में सुंदरकांड का संगीतमय पाठ किया गया। जिले के शहरी और ग्रामीण अंचल में एक हजार से अधिक शोभायात्रा निकाली गई। युवाओं ने शहर में विभिन्न मोहल्लों से युवाओं ने बाइक रैली निकाली।
प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर सम्पूर्ण अयोध्या लौकिक और पारलौकिक सौंदर्य में दिखी
अयोध्या में भगवान राम के मंदिर में रामलला के नवीन विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के उपलक्ष्य में सेवानिवृत अध्यापिका पूजा पांडेय के साकेत नगर संकट मोचन मार्ग स्थित आवास पर जुटी मातृशक्तियों ने अपने कविताओं के जरिए भगवान राम के प्रति श्रद्धा निवेदित की। सेवा निवृत अध्यापिका पूजा पांडेय ने कहा कि रामलला के नवीन विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा के समय अयोध्या में प्रकृति पराकाष्ठतीत उल्लासित दिखी। अयोध्या लौकिक तथा अलौकिक सौन्दर्य को समेटे हुये रामलला के युगल चरण-पद्म का स्पर्श करने के लिए आतुर दिखी।
पूजा पांडेय ने काव्य रचना के जरिए कहा कि राम आपकी पुनीत, पावन, नीतिगत, पुण्यकर्म, विनयशीलता, कर्तव्यपरायणता, तुम्हारा शौर्य, तुम्हारी वीरता, तुम्हारी दूरदर्शिता, तुम्हारा रौद्र रूप, फिर तुम्हारी प्रेमवत्सलता, भक्ति, शुद्ध से विशाल तक के लिये सम्यक दृष्टि, क्षमा, उदारता समी सचक्षु तो नहीं देखा, फिर भी तुम्हारी कल्पना के साथ ही यह सब होता दिखाई, पड़ने लगता है। यह कैसा चमत्कारी, अद्भुत जादुई सुख है राम, जहाँ से मन लौटना ही नहीं चाहता ? एक बात समझती है, तुम दिव्य हो तुम भव्य हो। कौशल्या, दशरथ की अयोध्या में जन्म लेकर संपूर्ण विश्व को प्रकाशित करते हो राम ! अपार महिमा है तुम्हारी। आओ राम, आतुर है हम सब भारतवासी। अन्य मातृशक्ति कवियत्रियों ने उत्सवी माहौल में कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीरामलला विराजे और इसका रंग चहुंओर बिखरा। हर कोई सुबह से लेकर रात तक उल्लास में डूबा।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित
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