बीएचयू में वेद मन्त्रों के साथ मनीषियों ने किया शास्त्रार्थ,जीवंत हुई काशी की प्राचीन परम्परा
— त्रिदिवसीय 'अखिल भारतीय शास्त्रार्थ सभा' में ऋग्वेद की शाकल शाखा का स्वाध्याय रामचन्द्र देव ने किया
वाराणसी,28 नवम्बर (हि.स.)। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय सभागार में गुरूवार को काशी की शास्त्रार्थ परम्परा वेद मंत्रों के साथ जीवंत हुई। मनीषियों ने वेदान्त, मीमांसा, न्याय आदि शास्त्रों पर अपनी पकड़ दिखा धारा प्रवाह शास्त्रार्थ किया। अवसर रहा संकाय की ओर से आयोजित त्रिदिवसीय 'अखिल भारतीय शास्त्रार्थ सभा' के उद्घाटन का।
श्रीगणपति एवं महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पूजन के बाद काशी के वैदिक विद्वानों ने इसकी शुरूआत की। उद्घाटन सत्र में ऋग्वेद की शाकल शाखा का स्वाध्याय रामचन्द्र देव, रोहित देव ने संपादित किया। इसी तरह शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिनी शाखा का स्वाध्याय जयकृष्ण दीक्षित, भालचन्द्र बादल, डॉ. मणि झा, नारायण उपाध्याय ने किया। काण्व शाखा का स्वाध्याय श्रीनिवास पुराणिक, अनिरुद्ध पेठकर, कृष्ण यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा का स्वाध्याय शेखर द्रविड, नारायण घनपाठी, वीर राघव, कृष्णमुरारि त्रिपाठी, सामवेद की कौथुम शाखा का स्वाध्याय पं.हरदत्त त्रिपाठी, अशोक त्रिपाठी ,अथर्ववेद की शौनक शाखा का पारायण गोपाल रटाटे, गोविन्द ने किया।
शास्त्रार्थ सभा के पहले सत्र में चेन्नई के वेदान्त, मीमांसा, न्याय आदि शास्त्रों के विद्वान् आचार्य मणि द्राविड ने असाधारण प्रतिभा दिखाई। उन्होंने मीमांसा शास्त्र के उपक्रमन्याय विमर्श नामक शीर्षक से अपना शास्त्रार्थ प्रस्तुत किया। सहज व मनोरम शैली में गम्भीर विषय की प्रस्तुति से उन्हें जमकर सराहना मिली। न्यायशास्त्र के ''सर्वांशे प्रमात्वविचार:'' विषय पर तिरुपति के ज्योतिष आदि शास्त्रों के मूर्धन्य विद्वान् आचार्य गणपति भट्ट ने अपना शास्त्रार्थ प्रस्तुत किया। द्वितीय सत्र में देवप्रयाग, उत्तराखण्ड के व्याकरण विद्वान् आचार्य गणेश्वर झा ने ''उत्सर्गापवादस्थले बाध्यतावच्छेदकधर्मविचार:'' विषय पर शास्त्रार्थ किया। मीमांसा शास्त्र के ''धर्मलक्षणम्'' विषय पर पुणे, महाराष्ट्र के विद्वान् आचार्य राजेश्वर देशमुख ने शास्त्रार्थ प्रस्तुत किया। इसी तरह वेदान्त दर्शन के ''प्रमिताधिकरणम्'' विषय पर तिरुपति (आन्ध्रप्रदेश) के आचार्य के.एस. सतीश ने शास्त्रार्थ प्रस्तुत किया। इसके पहले शास्त्रार्थ में संकाय प्रमुख प्रो. राजाराम शुक्ल, प्रो. माधव जनार्दन रटाटे, डॉ. श्रीराम ए.एस. आदि विद्वानों ने बीच—बीच में सवालों की झड़ी लगा दी। कार्यक्रम में छपरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह, प्रो. जयशंकर लाल त्रिपाठी, प्रो. चन्द्रमौलि द्विवेदी, प्रो. गोपबन्धु मिश्र, प्रो. सदाशिव कुमार द्विवेदी, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी आदि विशिष्ट विद्वानों के साथ ही संकाय के प्रो. कमलेश झा, प्रो. कौशलेन्द्र पाण्डेय, प्रो. पतंजलि मिश्र, प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी, प्रो. हरीश्वर दीक्षित आदि की खास उपस्थिति रही।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी
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