2019 में सपा और कांग्रेस के मतों को जोड़ने के बाद भी दोगुना थे भाजपा के वोट

2019 में सपा और कांग्रेस के मतों को जोड़ने के बाद भी दोगुना थे भाजपा के वोट
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2019 में सपा और कांग्रेस के मतों को जोड़ने के बाद भी दोगुना थे भाजपा के वोट


- सपा-बसपा और कांग्रेस के मतों को मिलाकर मिले थे जितने वोट उससे भी ज्यादा पायी थी भाजपा

लखनऊ, 24 फरवरी (हि.स.)। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को देखा जाय तो इसका भाजपा पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि पिछली बार उप्र में विपक्ष की दो बड़ी पार्टियां बसपा और सपा भी लोकसभा चुनाव में मिलकर दांव आजमा चुकी हैं। उस गठबंधन के बावजूद उसे मात खाना पड़ा था। यही नहीं पिछले चुनाव को देखें तो सपा-बसपा और कांग्रेस तीनों मिलाकर जितना वोट पाये थे, उससे 52,07,415 वोट भाजपा को अधिक मिले थे।

वोट के लिहाज से देखें तो भाजपा को प्रदेश में कुल 4,28,57,221 वोट मिले थे, जो कुल पड़े वोट का 49.98 प्रतिशत था। इसके अलावा अपना दल सोनेलाल को 1.21 प्रतिशत वोट मिले थे। वोटों के लिहाज से 10,38,558 वोट मिले थे। भाजपा और अपना दल एस के वोट को जोड़ दिया जाय तो 4,38,95,779 वोट भाजपा गठबंधन को मिले थे। वहीं बसपा को 1,66,58,917 वोट मिले थे, जो कुल पड़े वोट का 19.26 प्रतिशत था।

वहीं समाजवादी पार्टी को 1,55,33,620 वोट मिले थे, जो कुल पड़े वोट का 17.96 प्रतिशत था। वहीं कांग्रेस को 54,57,269 वोट मिले थे, जो कुल पड़े वोट का 6.31 प्रतिशत था। पूरे प्रदेश में कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली सीट पर जीत मिली थी। यदि दूसरे नम्बर आने का आंकड़ा भी देखें तो प्रदेश में सिर्फ तीन सीटों पर कांग्रेस दूसरे नम्बर पर थी, उसमें एक राहुल गांधी अमेठी से, राज बब्बर फतेहपुर से, श्रीप्रकाश जयसवाल कानपुर से दूसरे नम्बर पर आने वाले कांग्रेसियों में थे।

यदि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के 2019 में पाये वोटों को भी मिला दिया जाय तो कुल 3,76,49,806 वोट होते हैं, जो भाजपा के पाये 4,28,57,221 से 52, 07, 415 वोट कम हैं। यदि सिर्फ सपा और कांग्रेस के वोट को मिला दें तो 2,09,90,889 वोट होते हैं। यह भाजपा के 2,18,66,332 वोट कम होते हैं अर्थात दोगुने के लगभग ज्यादा वोट भाजपा को मिले।

इस बार रालोद भी है भाजपा के साथ

यह भी देखने की बात है कि पिछले चुनाव में रालोद सपा-बसपा के साथ गठबंधन में था। जबकि इस बार रालोद भाजपा के साथ आ गया है, जिसका पश्चिमी उप्र के कुछ जिलों में प्रभाव काफी है। वह प्रभाव भी कई जगहों पर देखने को मिलेगा। ऐसे में 2014 के लोकसभा चुनाव का अपना रिकार्ड (71 सीटों पर जीत हासिल हुई थी) तोड़ दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।

राजनीतिक विश्लेषक की राय

इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह का कहना है कि इस गठबंधन से दोनों पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं में जोश भर सकती हैं, लेकिन धरातल पर इससे सीटों की बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद नहीं है। इतना जरूर है कि उप्र में मृतप्राय होती जा रही कांग्रेस को कुछ ऊर्जा मिल सकता है। समाजवादी पार्टी को तो इससे नुकसान ही दिख रहा है।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री का कहना

भाजपा के प्रदेश महामंत्री संजय राय का कहना है कि प्रदेश में 80 सीटें जीतने का हमारा संकल्प है। यह हम नहीं, उप्र की जनता कह रही है। विपक्ष दूर-दूर तक जनता के बीच दिखाई नहीं देता। वे हवा में तीर चलाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि भाजपा कार्यकर्ता हमेशा जनता के बीच रहकर धरातल पर काम करता है। इस बात को सभी बखूबी जानते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/मोहित

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