टीबी को जड़ से मिटाने में निजी चिकित्सकों की अहम भूमिका : डॉ. सुधीर चौधरी
कानपुर, 29 अक्टूबर (हि.स.)। टीबी को जड़ से मिटाने में निजी चिकित्सकों की भूमिका अहम है। क्षय मुक्त भारत को लेकर देश के प्रधानमंत्री का विजन तभी पूरा हो सकता है जब कोई टीबी रोगी का नोटिफिकेशन न छूटे। साथ ही क्षय रोगी एक भी दिन दवा खाना न छोड़े।
यह बात रविवार को फजलगंज स्थित एक निजी होटल में चिकित्सा शिक्षा पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए रामा मेडिकल कालेज के विभागाध्यक्ष डॉ. सुधीर चौधरी ने कही।
उन्होंने कहा कि टीबी के सम्पूर्ण उपचार के लिए उसका कोर्स का पूरा होना बहुत जरूरी है। कई टीबी रोगी बीच में ही इलाज छोड़ देते हैं या फिर बदल-बदल कर इलाज करते हैं जिससे उनकी स्थिति बिगड़ जाती और कई बार बीमारी बहुत गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है। ऐसे में मरीजों का सरकार द्वारा निर्देशित दवाओं से उपचार करने पर जोर दिया जाना चाहिए। साथ ही एचआईवी, डायबिटीज मरीजों की टीबी की नियमित जांच की जाए।
उप राज्य क्षयरोग अधिकारी डॉ. ऋषि सक्सेना ने टीबी के जीवाणु, डीआरटीबी (ड्रग रेजिस्टेंस टीबी), मल्टी ड्रग थेरेपी, प्रतिरोधी दवाओं के महत्व आदि बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि ज़िले के सभी निजी चिकित्सक भी इस मुहिम में शामिल होकर टीबी जैसी बीमारी से बचाव में सहयोग करें।
जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. आरपी मिश्रा ने कहा कि ने कहा कि टीबी के सम्पूर्ण उपचार के लिए प्रतिदिन दवा खाना बेहद जरूरी है। सभी दवाएं पूर्ण रूप से सुरक्षित और बेहद फायदेमंद हैं। कई दवाएं बहुत महंगी हैं लेकिन सरकार की ओर से निःशुल्क दी जा रही हैं जिसका टीबी रोगियों को लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने बताया टीबी की जांच के लिए 2 सीबीनॉट मशीन और 15 ट्रू नेट मशीन जनपद के कई हिस्से में स्थापित हैं जोकि मरीजो का टेस्ट कर रही हैं।
पीसीएसए के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर राहुल मिश्रा ने अपील की कि जितने भी टीबी के मरीज नोटिफाई किया जा रहे हैं उन समस्त मरीजों की बैंक डिटेल अवश्य उपलब्ध कराई जाए जिससे निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह 500 रुपये की आर्थिक सहायता डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर की जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मंडलीय सलाहकार डॉ दिव्या गुप्ता ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ. राजीव कक्कर ने समस्त कार्यशाला का संचालन किया साथ ही टीबी रोगियों के उपचार में आने वाली समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा भी की।
इस कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से राज्य सलाहकार डॉ. सौरभ श्रीवास्तव, स्टेट टेक्निकल सपोर्ट यूनिट से शैलेंद्र उपाध्याय, जनपद के सम्मानित डॉ. श्याम सुंदर, डॉ. जेपी सिंह, जिला समन्वयक राजीव सक्सेना, पीपीएम समन्वयक सहित एचएलफपीपीटी संस्था से अजय कुमार सिंह, जिला समन्वयक बलवान यादव आदि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/महमूद/दीपक/मोहित
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