मछली पालन के व्यवसाय में अपार संभावनाएं, कानपुर नगर में प्रतिवर्ष 7363.1 टन उत्पादन: डॉक्टर शशीकांत

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मछली पालन के व्यवसाय में अपार संभावनाएं, कानपुर नगर में प्रतिवर्ष 7363.1 टन उत्पादन: डॉक्टर शशीकांत


मछली पालन के व्यवसाय में अपार संभावनाएं, कानपुर नगर में प्रतिवर्ष 7363.1 टन उत्पादन: डॉक्टर शशीकांत


कानपुर,12 अगस्त (हि.स.)। मछली पालन के व्यवसाय में अपार संभावनाएं हैं। वैज्ञानिक विधि से मछली उत्पादन को और बढ़ाया जा सकता है। यह जानकारी सोमवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर के मत्स्य विशेषज्ञ डॉक्टर शशीकांत ने दी।

उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनपद कानपुर नगर में उत्पादन 7363.1 टन प्रतिवर्ष है और जनपद कानपुर देहात में 8716.35 टन उत्पादन प्रतिवर्ष है। किसान भाई मत्स्य पालन के साथ-साथ बत्तख, उद्यान,पशुपालन कर अतिरिक्त लाभ अर्जित कर सकते हैं।

मछली एक शक्तिवर्धक एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थ

उन्होंने बताया कि मछली एक शक्ति वर्धक एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थ है यह खाने में सुपाच्य होती है। इसमें आवश्यक अमीनो एसिड तथा प्रोटीन भी अधिक मात्रा में पाई जाती है। इसके अतिरिक्त इसमें वसा, कैल्शियम व खनिज भी पाए जाते हैं जिसके कारण संतुलित आहार में मछली की विशेष उपयोगिता है। उन्होंने बताया की वर्षा का मौसम मछली पालने के लिए उपयुक्त है। मत्स्य व्यवसाय एक श्रम प्रधान व्यवसाय है। इस व्यवसाय में कम पूंजी लगाने पर अधिकतम लाभ अर्जित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि मछली पालने के लिए तालाबों में उपस्थित खरपतवारो की सफाई कर ले। तालाबों में खरपतवार जैसे जलकुंभी, लैमिना, हाइड्रिला आदि होते हैं। अधिक जलीय वनस्पति होने की दशा में रसायनों का प्रयोग जैसे फ़रनेक्सान 8 से 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तालाब में प्रयोग कर सफाई करनी चाहिए। उन्होंने बताया की मछलियों की बढ़वार में जल की क्षारीयता का विशेष महत्व है। मछली का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए जल की छारियता 7.5-8.5 तथा घुलित ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम प्रति लीटर आवश्यक होती है। जल की उत्पादकता क्षारीयता का निर्धारण करने के लिए गोबर की खाद और चूने का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि चूना जल की क्षारीयता का संतुलन करता है। वही गोबर की खाद से मछली का प्राकृतिक भोजन जिसे प्लेकटान कहते हैं उत्पन्न होता है। उन्होंने कहा कि जब तालाब की तैयारी हो जाए तो मत्स्य विभाग के माध्यम से मछली के बच्चों की बुकिंग करा लें।

उन्होंने बताया कि आमतौर पर मछली पालन हेतु भारतीय मछली जैसे मेजर कॉर्प, ग्रास कॉर्प और सिल्वर कॉर्प का चयन सबसे उपयुक्त रहता है। मत्स्य पालक 1 हेक्टेयर तालाब से प्रतिवर्ष 2 से 3 लाख की आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल / बृजनंदन यादव

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