आईआईटी के क्रायोजेनिक-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी से जीव विज्ञान में बढ़ेगा अनुसंधान
— भारतीय वैज्ञानिकों को दवा की खोज और रोग अनुसंधान के लिए मिलेगी तकनीकी मदद
कानपुर, 03 अगस्त (हि.स.)। भारत की वैज्ञानिक अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आईआईटी ने अपनी राष्ट्रीय क्रायोजेनिक-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (Cryo-EM) सुविधा का उद्घाटन किया है जो साइंस एण्ड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (SERB) के सहयोग से स्थापित है। इस तकनीक की मदद सबसे अधिक दवा खोजने वाले वैज्ञानिकों व रोग अनुसंधान के शोधार्थियों को मिलेगी।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन के साथ एकीकृत इस सुविधा का उद्घाटन भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. अभय करंदीकर ने आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मनिंद्र अग्रवाल की उपस्थिति में किया। प्रो. करंदीकर ने कहा कि राष्ट्रीय क्रायोजेनिक-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी भारतीय विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण है, जो जैविक प्रणालियों की जटिलताओं को सुलझाने के लिए प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने और नई दवाओं की डिजाइन करने, रोग अनुसंधान और उससे परे नए मोर्चे खोलने में मदद करेगा। यह सुविधा एक शक्तिशाली 300 केवी क्रायो-ईएम (Cryo-EM) माइक्रोस्कोप, सोफिस्टिकेटेड सैंपल प्रिपरेशन इक्विपमेंट और डेटा विश्लेषण के लिए उन्नत कम्प्यूटेशनल बुनियादी ढांचे से सुसज्जित है। ये संसाधन, शोधकर्ताओं को जैविक अणुओं की जटिलताओं को जानने में सक्षम बनाएंगे, जिससे उनकी संरचनाओं और अंतःक्रियाओं को अभूतपूर्व विस्तार से उजागर किया जा सकेगा।
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि यह अगली पीढ़ी के वैज्ञानिक लीडरों को आवश्यक बुनियादी ढांचे और उपकरणों के साथ सशक्त बनाएगी। इसके साथ ही न केवल वैज्ञानिक खोजों में तेजी आएगी, बल्कि मानवता के लाभ के लिए नए उपचारों के विकास में भी योगदान मिलेगा। पहले इस तरह के अनुसंधान के लिए विदेश यात्रा करने और मुख्य रुप से विदेशी संस्थानों पर निर्भर रहने के कारण, भारतीय संरचनात्मक जीव विज्ञान शोधकर्ताओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब यह सुविधा आसानी से संरचनात्मक जीव विज्ञान शोधकर्ताओं को सक्षम बनाएगी और उन्नत प्रौद्योगिकी तक पहुंच उपलब्ध कराएगी।
हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह / मोहित वर्मा
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