आईआईटी कानपुर ने छात्रों की भलाई के लिए शुरू की कल्याणकारी पहल

आईआईटी कानपुर ने छात्रों की भलाई के लिए शुरू की कल्याणकारी पहल
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आईआईटी कानपुर ने छात्रों की भलाई के लिए शुरू की कल्याणकारी पहल


कानपुर,30 जनवरी (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने हमेशा अपने छात्र समुदाय के समर्थन के महत्व को पहचाना है और उन्हें अपनी भलाई को पहले रखने और मानसिक स्वास्थ्य और जरूरतों को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसमें एक ऐसी संस्कृति को समाहित किया गया है कि जो व्यक्तिगत विकास को भी प्रोत्साहित करती है। संस्थान शिक्षाविदों से परे जाकर अपने छात्रों के समग्र विकास का समर्थन करता है। यह जानकारी मंगलवार को आईआईटी कानपुर प्रबंधन द्वारा दी गई।

जानकारी में बताया कि संस्थान के पास एक समर्पित केंद्र, इंस्टीट्यूट काउंसलिंग सर्विस (आईसीएस) है, जिसमें छह पेशेवर परामर्शदाता शामिल हैं। जो सभी नैदानिक मनोवैज्ञानिक हैं और छात्र, स्वयंसेवकों और संकाय सलाहकारों का एक समर्पित समूह है। इसके अलावा संस्थान तीन मान्यता प्राप्त मनोचिकित्सकों से संबद्ध हैं। मनोचिकित्सकों द्वारा परिसर में साप्ताहिक दौरा किया जाता है, जहां दवा की आवश्यकता वाले छात्रों को उनके पास भेजा जाता है। हाल की दुखद घटनाओं के बाद, संस्थान ने छात्रों की चिकित्सा आवश्यकताओं की देखभाल के लिए अतिरिक्त परामर्शदाताओं और छात्रावास प्रबंधकों सहित कुछ और पेशेवरों को नियुक्त करके अपनी परामर्श सेवा को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं।

छात्रों के लिए शुरू की गई नई पहल

आईआईटी कानपुर की ओर से बताया गया कि तेजी से प्रतिक्रिया देने के लिए पीजी कोर काउंसलिंग टीम को मजबूत करना और छात्रों को व्यक्तिगत मानसिक स्वास्थ्य सहायता भी प्रदान करना। छात्रों के सामने आने वाले शैक्षणिक तनाव, अलगाव और अन्य कठिनाइयों के मुद्दों की पहचान करने के लिए विभाग स्तर पर नियमित चर्चा। इससे शुरुआती चरण में छात्रों के सामने आने वाली किसी भी समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी। वरिष्ठ पीजी छात्र संक्रमण को आसान बनाने और अलगाव की किसी भी भावना को कम करने के लिए नए छात्रों का हाथ थामेंगे।एक संकाय गाइड गैर-शैक्षणिक मामलों के लिए संचार के अनौपचारिक चैनलों को खुला रखेगा और शिक्षा जगत के बाहर एक सहायक वातावरण को बढ़ावा देने में मदद करेगा।इंटरएक्टिव छात्रावास-स्तरीय कार्यक्रम छात्रों को सकारात्मक और इंटरैक्टिव वातावरण में व्यस्त रखेंगे और सामुदायिक समर्थन का निर्माण करेंगे। प्रत्येक सेमेस्टर के लिए मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

उपरोक्त के अतिरिक्त पांच सदस्यों वाली एक समीक्षा समिति का गठन किया है। समिति को छात्र चिंताओं के प्रति सहानुभूति पूर्ण दृष्टिकोण के साथ छात्र मुद्दों को संबोधित करने और तुरंत हल करने का काम सौंपा गया है। समिति को पहले ही छात्रों के साथ उनकी बातचीत (ओपन हाउस) के आधार पर अलग-अलग विभागों से विशिष्ट इनपुट प्राप्त हो चुके हैं। समिति पूर्व छात्रों और अन्य हितधारकों से भी प्रतिक्रिया प्राप्त कर रही हैं और उचित निकायों के माध्यम से प्रशासन, सीनेट और या बोर्ड को विशिष्ट सिफारिशें करेगी।

बीते वर्ष में संस्थान ने छात्रों के अनुभव को बढ़ाने और उनकी सीखने की यात्रा में हर कदम पर उनका समर्थन करने के लिए, विशेष रूप से स्नातकोत्तर छात्रों के लिए शैक्षणिक सुधार किए हैं। इनमें साल भर खुले प्रवेश के साथ एक लचीला पीएचडी कार्यक्रम, पीएचडी छात्रों के लिए बढ़ी हुई वित्तीय सहायता, अनिवार्य पीएचडी पाठ्यक्रमों को छह से घटाकर चार करना, पीएचडी छात्रों से नियमित रूप से मिलने और मार्गदर्शन करने के लिए एक समिति, तीन महीने में थीसिस की तेजी से प्रसंस्करण शामिल हैं। छह महीने पहले, और पीएचडी छात्रों के लिए एमएस डिग्री के साथ कार्यक्रम से बाहर निकलने के विकल्प। अन्य कदमों में एक सुव्यवस्थित स्नातकोत्तर प्रवेश प्रक्रिया, एमटेक कार्यक्रम में थीसिस या प्रोजेक्ट के बीच चयन की स्वतंत्रता, अंग्रेजी भाषा सीखना और बहुत कुछ शामिल हैं।

संस्थान एक सहायक, समावेशी और शैक्षणिक रूप से सशक्त वातावरण की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है जो छात्र समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक कल्याण को प्राथमिकता देता है।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/मोहित

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