आईआईटी कानपुर ने फेफड़ों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए विकसित की है नई तकनीक

आईआईटी कानपुर ने फेफड़ों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए विकसित की है नई तकनीक


कानपुर, 26 सितम्बर (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर शोधकर्ताओं की टीम ने एक किफायती और क्रांतिकारी रोग निगरानी प्रणाली का आविष्कार किया है जो विशेष रूप से फेफड़ों की देखभाल की क्षमता को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह जानकारी मंगलवार को आईआईटी कानपुर के कार्यवाहक निदेशक प्रो. एस्र गणेश ने दी।

उन्होंने बताया कि यह आईआईटी कानपुर की अत्याधुनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का प्रमाण है जो मरीजों को सीधे लाभ पहुंचाती है। यह देखा गया है कि संक्रामक फेफड़ों की बीमारियों के कारण मरीज़ आमतौर पर घर पर ही रहते हैं, जिससे निरंतर चिकित्सा निगरानी के लिए चुनौतियां पैदा होती हैं। रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम एक समाधान तो प्रदान करते हैं, फिर भी उन्हें देरी और नेटवर्क समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आईआईटी कानपुर की यह तकनीक फेफड़ों की बीमारी के डेटा तक तेजी से पहुंच प्रदान करती है और मरीज की कहीं भी बैठकर बीमारी की निगरानी करने की सुविधा प्रदान करती है।

प्रो. एस्र गणेश ने कहा कि सिस्टम में अत्यधिक संवेदनशील ध्वनि सेंसर के साथ एक ध्वनिक मास्क और उपयोगकर्ता के मुंह और नाक से अश्रव्य श्वास ध्वनियों को महसूस करने के लिए एक इन्टेलिजन्ट कॉर्डेड डिवाइस शामिल है। स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के साथ फेफड़ों की स्वास्थ्य स्थिति को साझा करने के लिए मास्क के कॉर्डेड डिवाइस में एक वाई-फाई मॉड्यूल होता है। यह डिवाइस अत्यधिक टिकाऊ बैटरी से सुसज्जित है जो निर्बाध निरंतर निगरानी प्रदान करती है और एक स्थानीय भंडारण इकाई है जो दीर्घकालिक अनुमानों के लिए संसाधित ऑडियो डेटा को संग्रहीत करती है और एक प्रोसेसिंग इकाई है जिसमें इनबिल्ट मेमोरी और माइक्रोप्रोसेसर है। यह वास्तविक समय की सतत निगरानी प्रणाली डॉक्टरों को स्वास्थ्य स्थिति में किसी भी संभावित परिवर्तन या गिरावट पर तुरंत प्रतिक्रिया देने में सहायता प्रदान करती है।

इस उपकरण का रोगी स्वास्थ्य निगरानी बाजार पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि यूएस-आधारित मार्केट्स एंड मार्केट्स की एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि 2027 तक निगरानी उपकरणों का मूल्य पूर्वानुमानित अवधि के दौरान 9.1% की सीएजीआर से बढ़कर 65.4 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है।

आगे बताया कि आईआईटीके ने ए कंटीन्यूअस लंग हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम नामक एक नवीन तकनीक विकसित की है। इस प्रौद्योगिकी का आविष्कार आईआईटी कानपुर, आईआईटी खड़गपुर और अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) नया रायपुर के अन्वेषकों के एक समूह द्वारा किया गया है। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने नवाचार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की है। प्रौद्योगिकी को भारतीय पेटेंट आवेदन संख्या 202311027111 द्वारा संरक्षित किया गया है। प्रौद्योगिकी एक कम लागत वाली, सर्वव्यापी, अबाधित और कॉम्पैक्ट प्रणाली है जो स्वास्थ्य देखभाल टीमों को मरीजों के फेफड़ों की स्वास्थ्य स्थिति को ट्रैक करने में मदद करती है।

हिन्दुस्थान समाचार / राम बहादुर/सियाराम

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