होमियोस्टैसिस तंत्र की वजह से 42 डिग्री का तापमान सह सकता है मनुष्य : मौसम वैज्ञानिक

होमियोस्टैसिस तंत्र की वजह से 42 डिग्री का तापमान सह सकता है मनुष्य : मौसम वैज्ञानिक
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होमियोस्टैसिस तंत्र की वजह से 42 डिग्री का तापमान सह सकता है मनुष्य : मौसम वैज्ञानिक


- 37 डिग्री से अधिक का तापमान मनुष्य के शरीर को पहुंचाता है नुकसान

कानपुर, 26 मई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश सहित उत्तर भारत में सूरज की आग उगलती लपटें कहर बरपा रही हैं और तापमान 44 डिग्री सेल्सियस पार हो रहा है। इस भीषण गर्मी में लोग बिलबिला रहे हैं और दोपहर में तो घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मनुष्य कितने डिग्री का तापमान सह सकता है। सामान्य तौर पर 37 डिग्री से अधिक का तापमान मनुष्य के शरीर को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन इंसान के शरीर में खास तंत्र होमियोस्टैसिस होने की वजह से 42 डिग्री तक का तापमान मुनष्य सह सकता है। यह बातें रविवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने कही।

उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों की मानें तो इंसानी शरीर का सामान्य तापमान 98.9 डिग्री फॉरेनहाइट होता है जो आपके आसापास के वातावरण यानी बाहरी तापमान के 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है। विज्ञान के मुताबकि इंसान गर्म खून वाला स्तनधारी जीव है जो 42 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सह सकता है। इंसान के शरीर में एक खास तंत्र होमियोस्टैसिस होता है जो इंसान को इस तापमान में भी सुरक्षित रखता है। इससे ज्यादा तापमान इंसानी शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार साल 2000-04 और 2017-2021 के बीच के आठ सालों में भारत में गर्मी का प्रकोप अत्यधिक ज्यादा रहा। साथ ही इस दौरान गर्मी से होने वाली मौतों में 55 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

अधिक तापमान से मांसपेशियां दे जाती हैं जवाब

मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार यदि पारा 45 डिग्री हो तो बेहोशी, चक्कर या घबराहट जैसी शिकायतों के चलते ब्लड प्रेशर कम होने जैसी परेशानी आम शिकायतें हैं। वहीं यदि आप 48 से 50 डिग्री या उससे ज्यादा तापमान में बहुत देर रहते हैं तो मांसपेशियां पूरी तरह जवाब दे सकती हैं जो मौत की वजह भी बन सकती है।

40 डिग्री में होने लगती है परेशानी

मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक गर्मी से होने वाली मौतों में 257 फीसदी तक वृद्धि हो जाएगी। विज्ञान कहता है कि इंसान का शरीर 35 से 37 डिग्री तापमान बिना किसी परेशानी के सह सकता है। वहीं यही तापमान जब 40 डिग्री हो जाता है तो लोगों को परेशानी होने लगती है। इसे लेकर की गईं रिसर्चों की मानें तो इंसानों के लिए 50 डिग्री का अधिकतम तापपमान बर्दाश्त करना खासा मुश्किल हो जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/बृजनंदन

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