अति संवेदनशील होता है मानवीय व्यवहार: प्रो. आलोक कुमार
मेरठ, 12 जनवरी (हि.स.)। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रो. आलोक कुमार ने कहा कि मानवीय व्यवहार अति संवेदनशील होता है। एक सामाजिक अनुसंधानकर्ता के लिए सही तथ्यों का पता लगाना अत्यन्त कठिन कार्य होता है। सही तथ्यों का पता लगाने के लिए उन्होंने विभिन्न शोध विधियों को समझाया।
आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित एवं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित दो सप्ताह के क्षमता सवर्द्धन कार्यक्रम के दूसरे दिन शुक्रवार को तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो. आलोक कुमार ने कहा कि यदि हम किसी समुदाय के व्यवहार का अध्ययन करना चाहते है तो इसके लिए आवश्यक है कि उस समुदाय के बीच जाया जाए अर्थात् पार्टिसिपेटिव एप्रोच को अपनाया जाए।
उन्होंने डाटा एकत्रीकरण, डाटा एकत्रीकरण के विभिन्न तरीके, प्राप्त परिणामों आदि पर प्रकाश डालते हुए शोध के विभिन्न चरणों को बताया। उन्होंने मानवीय व्यवहार की मूलभूत विशेषताओं को बताते हुए कहा कि सहभागी दृष्टिकोण के साथ-साथ उन्होंने नान-पार्टिसिपेटिव एप्रोच के सन्दर्भ में भी बताया। उन्होंने कहा कि बिना पूर्वाग्रह के साथ निष्पक्षषोध ही सामाजिक शोध है। दूसरा तकनीकी सत्र सभी प्रतिभागियों द्वारा आपसी परिचय को समर्पित था। विष्वविद्यालय के 1988, 1995, 1999 तथा इसके प्श्चात् विभिन्न विषयों में पढ़े पुरातन छात्रों ने एक-दूसरे को परिचय दिया।
इनमें प्रो. सुधीर शर्मा पीलीभीत, डॉ. उपासना शर्मा हल्द्वानी, डॉ. अनु त्यागी जौनपुर, डॉ. मनीया रावत राजस्थान आदि शामिल रहे।
तीसरे तकनीकी सत्र में इतिहास विभागाध्यक्ष प्रोत्र विघ्नेश त्यागी ने सभी प्रतिभागियों को शोध सम्बन्धी ना सिर्फ ऐतिहासिक संदेश दिया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द ना सिर्फ सामाजिक शोध के प्रणेता कहे जा सकते हैं, बल्कि उन पर वास्तविक शोध किया जाना आज भी शेष है। उन्होंने कहा कि हमें शोधों में भारतीय पक्ष का दृष्टिकोण प्रमुखता से रखना होगा। उन्होंने प्रश्नोतरी के माध्यम से प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं को शांत किया।
हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/मोहित
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।