भारतीय संस्कृति नष्ट करने को चल रहे कई षड्यंत्र : शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती

भारतीय संस्कृति नष्ट करने को चल रहे कई षड्यंत्र : शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती
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भारतीय संस्कृति नष्ट करने को चल रहे कई षड्यंत्र : शंकराचार्य नरेन्द्रानंद सरस्वती


--सनातनियों का धर्मान्तरण राष्ट्र के खिलाफ षड्यंत्र और जेहाद : शंकराचार्य

प्रयागराज, 10 फरवरी (हि.स.)। माघ मेला प्रयागराज के सेक्टर-3 के त्रिवेणी मार्ग स्थित श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द सरस्वती महाराज के माघ मेला शिविर के पण्डाल में धर्म सभा का आयोजन हुआ। जिसमें उपस्थित दण्डी संन्यासियों एवं प्रबुद्ध सनातनियों को सम्बोधित करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि आने वाला समय सनातन धर्म को अपने प्रभावशाली रूप में प्रतिष्ठित होने का समय है। सनातन धर्म, संस्कृति एवं विरासत के विरुद्ध आज भी अनेक षड्यंत्र चल रहे हैं।

शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्मावलम्बी अपने जिन मठ मन्दिरों में सनातन धर्म की समृद्धि के लिए अपनी गाढ़ी कमाई का कुछ अंश चढ़ावे के रूप में समर्पित करता है, उनमें से कुछ मठ मन्दिरों पर सरकार का नियंत्रण है। वहां का धन विधर्मियों के ऊपर खर्च हो रहा है, जो बहुत ही गलत है। सरकार तत्काल सभी मठ-मन्दिरों को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त कर सनातनी धर्माचार्यों और सनातनी विद्वत समाज के प्रबुद्ध जनों का बोर्ड बनाकर उन्हें सौंप दे।

शंकराचार्य ने आगे कहा कि सनातनियों का धर्मान्तरण राष्ट्र के विरुद्ध षड्यंत्र और जेहाद है क्योंकि धर्मान्तरण शुद्ध रूप से राष्ट्रान्तरण है, धर्मान्तरण से मात्र एक हिन्दू ही कम नहीं होता, अपितु राष्ट्र का एक शत्रु तैयार हो जाता है। इसलिए धर्मान्तरण कराने वाले के लिए आजीवन कारावास और उसकी सम्पूर्ण सम्पत्ति जब्त करने का कड़ा कानून सरकार को अविलम्ब बनाना चाहिए तथा धर्मान्तरण कराने में संलिप्त व्यक्ति के सभी नागरिक अधिकार समाप्त कर देना चाहिए।

इस अवसर पर मुनीशाश्रम महाराज ने कहा कि देश में तत्काल जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होना चाहिए। विश्वगुरु करुणानन्द सरस्वती ने कहा कि देश में समान नागरिक संहिता आवश्यक है। स्वामी रामदेव आश्रम ने कहा कि देश में समान शिक्षा नीति की आवश्यकता है। कार्यक्रम में उड़िया बाबा, बृजभूषणानन्द सरस्वती, अनुरागी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। धर्मसभा में सनातनी श्रद्धालुओं के साथ-साथ सैकड़ों दण्डी संन्यासी उपस्थित रहे। धर्मसभा का संचालन बृजभूषणानन्द सरस्वती ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम

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