बुंदेलों के शौर्य और वीरता का गवाह ऐतिहासिक कीरत सागर बदहाली का शिकार, घाटों पर गंदगी का अंबार
महोबा, 08 अगस्त (हि.स.)। बुंदेलों के शौर्य और वीरता का गवाह ऐतिहासिक कीरत सागर बदहाली का दंश झेलने को मजबूर है। साल दर साल सरोवर का दायरा सिकुड़ता जा रहा है। घाटों पर गंदगी का अंबार लगा है।
जनपद मुख्यालय में बने ऐतिहासिक कीरत सागर के तटबंध पर 1182 ईस्वीं में दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान की विशाल सेना को वीर आल्हा ऊदल ने धूल चटाई थी। जिनकी वीरता की याद में यहां पर हर वर्ष कजली महोत्सव का आयोजन किया जाता है। ऐतिहासिक कजली महोत्सव की तैयारी शुरू हो गई है। इसी सरोवर में भुजरियां का विसर्जन किया जाता है। लेकिन अब इसमें पानी न होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
कीरत सागर में अभी तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंचा है और सरोवर के किनारों पर घाटों में गंदगी फैली हुई है, जो कि इसकी सुंदरता में ग्रहण लगा रही है। लंबे समय से कीरत सागर पूरी क्षमता से नहीं भर पा रहा है। कब्जा के चलते बरसात का पानी सरोवर तक नहीं पहुंच पा रहा है।
पहले उर्मिल बांध से मदन सागर सरोवर को भरा जाता था, जिसके बाद मदन सागर से कल्याण सागर और कीरत सागर को भरने का काम किया जाता था। जनपद में कीरत सागर के तटबंध पर लगने वाला ऐतिहासिक कजली मेला कुछ दिनों में शुरू होने वाला है लेकिन अभी तक सरोवर में पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं भरा जा सका है। जबकि सरोवर में जो पानी है वह भी जलकुंभी से पटा हुआ है।
हिन्दुस्थान समाचार / Upendra Dwivedi / Mohit Verma / बृजनंदन यादव
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