विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है राजभाषा हिंदी : निदेशक
कानपुर, 30 सितम्बर (हि.स.)। भारत की राजभाषा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय में स्वीकार कर ली गई है और विश्व के कई मंचों से भी स्वीकारा गया है। इस प्रकार हिंदी अब राजभाषा की सीमाओं को लांघकर विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है। यह बातें सोमवार को हिंदी पखवाड़ा के अवसर पर राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की निदेशक प्रो. सीमा परोहा ने कही।
विजेता प्रतिभागियों का हिंदी के प्रति रुझान देखते हुये निदेशक प्रो.सीमा परोहा ने हर्ष से अभिभूत होकर कहा कि हमारे अधिकारियों, कर्मचारियों एवं छात्रों में ज्ञान की कमी नहीं है, उसको कलम और अभिव्यक्ति के माध्यम से हिंदी भाषा में उतारना होगा। छात्रों के रुप में जो अनगढ़े हीरे हमारे संस्थान में आये हैं उनको हमारे आचार्यगण तराशकर बेशकीमती बना देंगें, जिनकी प्रतिभा का लोहा देश एवं विदेश में स्थित शर्करा एवं संबद्ध उद्योगों के अधिकारी मानेंगें। हमको अपने घर में बच्चों से हिंदी में बात करने में हीनता का बोध नहीं होना चाहिये। गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में 13-14 सितंबर को राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित चतुर्थ अखिल भारतीय हिंदी सम्मेलन के महाकुंभ में देश के विभिन्न भागों से जुटी लगभग 12000 से अधिक हिंदी प्रेमियों की भीड़ ने यह सिद्ध कर दिया कि हिंदी में विश्व की संपर्क भाषा बनने की अद्वितीय क्षमता है।
मनाया गया हिंदी पखवाड़ा
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान कानपुर में हिंदी पखवाड़ा 14 सितंबर से 30 सितंबर तक मनाया गया। इस अवधि में संस्थान में हिंदी में कामकाज को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिये विविध प्रतियोगिताओं यथा-सामान्य ज्ञान, हिंदी निबंध, हिंदी टंकण, टिप्पण आलेखन एवं श्रुतलेख आदि का आयोजन किया गया, जिसमें अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने बड़े उत्साह से बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।संस्थान में आयोजित विविध प्रतियोगिताओं के निर्णायक मंडल की पांच सदस्यीय टीम का गठन प्रो.सीमा परोहा द्वारा किया गया, जिसमें डॉ.अशोक कुमार, सहा.आचार्य कृषि रसायन-अध्यक्ष तथा अखिलेश कुमार पांडेय मुख्य अभिकल्पक, मल्लिका द्विवेदी सहायक निदेशक (राजभाषा), दया शंकर मिश्र आशुलिपिक ग्रेड-1 और संतोष कुमार त्रिपाठी प्रवर श्रेणी लिपिक चार सदस्य रहे। चयन समिति से प्राप्त अनुशंसा के आधार पर संस्थान में वर्ष भर हिंदी में अच्छा कार्य करने हेतु अधिकारियों एवं कर्मचारियों को नकद पुरस्कार से प्रोत्साहित किया गया।
इनको किया गया पुरस्कृत
अधिकारी वर्ग में हिंदी डिक्टेशन में हिंदी भाषी वर्ग से वीरेन्द्र कुमार वरि.यंत्र अभियंता व हिंदी भाषी वर्ग से डॉ.अनंत लक्ष्मी रंगराजन सहा.आचार्य जैव रसायन को पुरस्कृत किया गया। हिंदी टिप्पण आलेखन में शैलेन्द्र कुमार त्रिवेदी सहा.आचार्य, व विनय कुमार सहा.आचार्य को प्रथम, महेन्द्र कुमार यादव कनि.तकनीकी अधिकारी, डॉ.सुधांशु मोहन कनि.वैज्ञानिक अधिकारी व कर्मचारी वर्ग से राजेन्द्र कुमार कार्यालय अधीक्षक को द्वितीय पुरस्कार दिया गया। तृतीय पुरस्कार में अंबरीष कुमार अस्थाना कनि.तकनीकी अधिकारी, आशीष कुमार शुक्ला कनि.तकनीकी अधिकारी, होराम सहा.अभियंता (विद्युत), एम.पी. सिंह व तेजपाल वर्मा दोनों वरि.तकनीकी सहायक को पुरस्कृत किया गया। इसी तरह अधिकारियों के लिये आयोजित हिंदी श्रुतलेख प्रतियोगिता में वीरेन्द्र कुमार वरिष्ठ यंत्र अभियंता को प्रथम, सुनीत कपूर लेखा सह भंडार अधिकारी को द्वितीय तथा अंबरीष कुमार अस्थाना कनिष्ठ तकनीकी अधिकारी को तृतीय पुरस्कार मिला। वहीं डॉ.अनंतलक्ष्मी रंगराजन सहायक आचार्य जैव रसायन एवं विवेक प्रताप सिंह कनिष्ठ तकनीकी अधिकारी को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा हिंदी में बेहतर कार्य करने वाले कुछ अन्य लोगों को भी पुरस्कृत किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह
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