शैक्षणिक संस्थाओं का उद्देश्य सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना : प्रो. डीपी सिंह
- बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में माइक्रोब्स पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस प्रारंभ
झांसी,01 दिसंबर (हि.स.)। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय एवं आईसीएआर सेंट्रल एग्रोफोरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट झांसी के संयुक्त तत्वावधान में माइक्रोब्स पर 64वीं वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन एसोसिएशन ऑफ माइक्रोब्स ऑफ इंडिया द्वारा गांधी सभागार में शुक्रवार को किया गया। जीवन के लिए माइक्रोब्स- पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली एवं बेहतर भविष्य के लिए रणनीति विषय पर आयोजित कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ पूर्व यूजीसी अध्यक्ष एवं वर्तमान में अकादमिक सलाहकार मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश प्रो. डीपी सिंह ने किया।
उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं का उद्देश्य सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करना एवं पर्यावरण अनुकूल परिसर का निर्माण करना है। नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का गठन किया गया है, जिसमें भारत सरकार ने 50 हजार करोड़ का बजट रखा है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों को भारत की परंपराओं से जोड़ना, सांस्कृतिक विरासत से परिचय करना एवं वैश्विक नागरिक के रूप में अपनी पहचान बनाना है। हमें वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलावों के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए छात्रों में व्यक्तित्व विकास के साथ ही देश को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की आवश्यकता है। शैक्षिक संस्थानों को नवाचार, उद्यमिता, स्टार्टअप एवं इनक्यूबेशन के साथ इंडस्ट्रीज से अपने आप को जोड़ना होगा। भारत में पर्याप्त मात्रा में मानव संसाधन उपलब्ध है कौशल विकास के माध्यम से हमें अपनी उपयोगिता एवं उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है।
विशिष्ट अतिथि, कुलपति, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर, प्रो. रमेश चंद्रा ने कहा कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस से यहां के छात्रों को अनेकों वैज्ञानिकों से शैक्षिक चर्चा करने का अवसर प्राप्त होगा। विश्वविद्यालय ने विगत दो दशकों में बेहतर उन्नति की है। उन्होंने पूर्व में यहां के कुलपति के रूप में बताए हुए अनुभव को सभी से साझा किया।
विशिष्ट अतिथि, पूर्व कुलपति, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, प्रो. पीएस बिशन ने बताया कि किस प्रकार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में जेसी बोस इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज का प्रारंभ किया गया। उन्होंने बताया कि यह समय प्रोबायोटिक के निर्माण का है। छात्रों के लिए इसमें अपार संभावनाएं हैं। प्रोबायोटिक मनुष्य जीवन को सेहतमंद एवं निरोगी बनाने के साथ ही कई आवश्यक उत्पादों के निर्माण में सहायक है।
विशेष अतिथि, पूर्व कुलपति हैदराबाद विश्वविद्यालय प्रो. अपार राव पोडीले ने कहा कि माइक्रोब्स पृथ्वी पर लगभग 3.7 बिलियन ईयर से मौजूद है जबकि पेड़ पौधे एवं अन्य जीवों का विकास एक बिलियन पूर्व हुआ है। यह बताता है कि माइक्रोब्स कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी रह सकते हैं। माइक्रोब्स के सही उपयोग से कई बीमारियों का बचाव किया जा सकता है ऑर्गेनिक तरीके से डीकंपोजिशन करने के कारण यह ग्रीन हाउस गैसों के निर्माण को भी रोकते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पांडे ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस के लिए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के चयन का आभार जताया। उन्होंने कहा कि माइक्रोब्स पर तीन दिन के मंथन के बाद निश्चित ही कुछ सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। कोरोना के बाद जिस प्रकार चीनी इन्फ्लूएंजा वायरस विशेष रूप से बच्चों के स्वसन तंत्र को शिकार बना रहा है इसका उपाय शीघ्र ढूंढना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि माइक्रोब्स मानव जीवन के लिए वरदान है। अगर जानकारी के साथ उनका सही उपयोग किया जाए। एशोसियेशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. सुनील पब्बी ने माइक्रोब्स के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि माइक्रोब्स हमारे विभिन्न प्रकार से सहायता करते हैं। यह हमें पोषण युक्त भोजन, एंटीबायोटिक, हार्मोन, विटामिन, विभिन्न रोगों की वैक्सीन आदि प्रदान करते हैं।
पर्यावरण संरक्षण, बायोफर्टिलाइजर, ग्रीन हाइड्रोजन, अकार्बनिक पदार्थ की रीसाइकलिंग, बायोफ्यूल के निर्माण में सहायता करने के साथी एवं मृदा में नाइट्रोजन फॉस्फोरस पोटेशियम एवं सल्फर की उपलब्धता को सुनिश्चित करते हैं। इसके पूर्व जनरल सेक्रेटरी, एएमआई प्रो नमिता सिंह ने सभी का स्वागत किया आयोजन सचिव कॉन्फ्रेंस डॉ ऋषि सक्सेना ने विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत की डॉ. एम आशा ज्योति ने सभी का अभार व्यक्त किया।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश/मोहित
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।