बकरीद पर नमाजियों ने देश की सलामती की दुआ की

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बकरीद पर नमाजियों ने देश की सलामती की दुआ की


बकरीद पर नमाजियों ने देश की सलामती की दुआ की


हरदोई, 17 जून (हि.स.)। सोमवार को पूरे जिले में शांतिपूर्ण ढंग से बकरीद मनाई गई। शहर के बिलग्राम चुंगी स्थित ईदगाह समेत विभिन्न मस्जिदों में अलग-अलग समय पर नमाज अदा की गई। नमाजियों ने मुल्क की सलामती की दुआ की और एक दूसरे को बकरीद की बधाई दी।

ईदगाह में बकरीद की नमाज सुबह 7:45 बजे संपन्न हुई। नमाज जामा मस्जिद के मुफ्ती आफताब आलम ने संपन्न कराई। उन्होंने कहा कि इस्लाम प्यार और मोहब्बत का पैगाम देता है,इसलिए सभी लोगों को आपस में मिलजुल कर रहना चाहिए। जामा मस्जिद में मुफ्ती अनस ने नमाज पढ़ाई।

शहर में डाक्टर सलीम वाली गली स्थित मस्जिद,नुमाइश पुरवा स्थित मस्जिद,बैटंगज स्थित मस्जिद,पुलिस लाइन स्थित मस्जिद, चील पुरवा स्थित मस्जिद में नमाज अदा कराई गई। मल्लावां ईदगाह बगदाद में नायब पेश इमाम रिजवान अंसारी, छोटी ईदगाह भगवंतनगर में मुफ्ती मिशवाह, छत्ता टोला मस्जिद में कारी महफूज मिया, दरगाह मस्जिद में पेश इमाम नाजिम ने नमाज अदा कराई।

इसके अलावा अन्य मस्जिदों में नमाज अदा की गई। नमाज के बाद खुतबा पढ़ा गया।उपस्थित जन समूह ने लोगों से गले मिलकर मुबारकबाद दी। क्षेत्र के माटियामऊ, राघौपुर, गंज जलालाबाद, बासा, सराय सुल्तान, तेरवा कुल्ली, सहित कई अन्य जगहों पर नमाज शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई।

पिहानी में इमाम ईदगाह मौलाना उसमान गनी मजाहिरी ने कहा कि कुर्बानी खुदा की राह में सब कुछ कुर्बान कर देने के पैगाम के साथ सब्र और शुक्र करते रहने का भी सबक देती है। उन्होंने पैगंबर पिता-पुत्र की कुर्बानी का वाकया बयान करते हुए कहा कि हमें भी राहे खुदा में अपनी बेशकीमती चीजों को कुर्बान करने को तैयार रहना चाहिए।

मुसलमानों को कुर्बानी के मसले समझाते हुए कहा कि अल्लाह के नजदीक कुर्बानी का गोश्त और खून कोई मायने नहीं रखता, वहां कद्र है तो सिर्फ जज्बात और तकवे की। उन्होंने कहा कि कुर्बानी करते वक्त अगर नीयत खालिस रजा ए इलाही वाली नहीं है,दिखावा करना चाह रहे हैं, तो कुर्बानी बेकार जाएगी।

मौलाना मजाहिरी ने एक हदीस के हवाले से कहा कि साहिबे-हैसियत होते हुए भी कुर्बानी न करने वालों को ईदगाह आने से भी मना किया गया है। पाबंदी वाले जानवरों की कुर्बानी न करें और कुर्बानी के बाद गंदगी आदि से बचें।

गोपामऊ की ईदगाह में मौलाना शरीफ कासमी ने नमाज अदायगी से पहले मुस्लिमों को खिताब करते हुए कहा कि इस्लाम शांति और भाइचारे का मजहब है। सच्चा मुसलमान वहीं है जो दीन पर चलते हुए अपने किरदार से अमनो अमान का माहौल बनाए।

हिन्दुस्थान समाचार/अंबरीष

/राजेश

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