भक्ति और ज्ञान के प्रदाता हैं हनुमानजी : धीरशांत दास अर्द्धमौनी

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भक्ति और ज्ञान के प्रदाता हैं हनुमानजी : धीरशांत दास अर्द्धमौनी
















मुरादाबाद, 12 मई (हि.स.)। ब्रह्मदेव चामुण्डा मन्दिर प्रीत विहार कालोनी में रविवार शाम को आयोजित श्री रामकथा व सुन्दरकांड में आचार्य धीरशांत दास 'अर्द्धमौनी' ने बताया कि भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी की कृपा से ज्ञान, गुणों एवं भक्ति की प्राप्ति होती है। भगवान का भजन ही कलियुग का तारनहार है। मानव योनि का एकमात्र उद्देश्य हरि भजन करना है। भजन करने के लिए स्वस्थ शरीर हेतु भोजन की आवश्यकता होती है। निष्कर्ष यह है कि भजन और भोजन ही मानव के प्रमुख कार्य हैं।

धीरशांत दास 'अर्द्धमौनी' ने आगे बताया कि संसार में जितना पतन हो रहा है, सब स्वार्थ बुद्धि के कारण ही हो रहा है। केवल कहने-सुनने से सबमें भगवद्बुद्धि नहीं होगी, प्रत्युत सब सुखी हो जायें ऐसा भाव होने से सब में भगवद्बुद्धि होगी। आप भगवान् के हो जाओ तो आपका सब काम भगवान का भजन करने से हो जाएगा। विद्या से विनय नम्रता आती है, विनय से पात्रता सज्जनता आती है। पात्रता से धन की प्राप्ति होती है, धन से धर्म और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है। भगवान ने जब मुझे अपना लिया। तब मुझे किस बात की चिन्ता रही। वे मेरे लिये जो कुछ विधान करते हैं मेरे कल्याण के लिये ही करते हैं। क्योंकि वे मेरे ही अपने हैं। उनके समान मेरा हित करने वाला परम सुहृद,परम पिता,परम स्नेहमयी जननी, परम प्रियतम स्वामी,परम गुरु,परम आत्मा और कौन होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/निमित/राजेश

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