बारादरी के वार्षिकोत्सव में गुलशन, गौहर, उर्वी और यात्री की पुस्तकों का लोकार्पण
गाजियाबाद, 15 सितम्बर (हि.स.)। 'बारादरी' (काव्य कुटुम्ब) ' के वार्षिकोत्सव में गीतकार गोविंद गुलशन, शायरा डॉ. माला कपूर 'गौहर', कवयित्री उर्वशी अग्रवाल' उर्वी' व लेखक एवं पत्रकार आलोक यात्री की विभिन्न विधाओं की पुस्तकों का विमोचन किया गया। पुस्तकों के विमर्श के क्रम में डॉ. माला कपूर 'गौहर' की पुस्तक 'माला के मोती' का विवेचन करते हुए लेखक व संपादक हरियश राय ने कहा कि डॉ. गौहर की अधिकांश कविताओं में पर्यावरणीय चिंता के विभिन्न प्रारूप देखने को मिलते हैं। उनकी अधिकांश कविताएं प्रकृति से संवाद करती नज़र आती हैं।
चार दशक की उनकी काव्य यात्रा उनकी अनुभूति और संवेदशीलता का प्रमाण है। डॉ. गौहर के गजल संग्रह 'एहसास के जुगनू' और 'तसव्वुर से आगे' पर प्रसिद्ध शायर शकील जमाली, गोविंद गुलशन की पुस्तक 'फूल शबनम के' पर मशहूर शायर मंसूर उस्मानी, आलोक यात्री की पुस्तक 'हुआ यूं के...' पर पत्रकार अतुल सिन्हा व उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी' के कविता संग्रह 'अंतर्मन की पाती : सुनो ना...' पर कवयित्री संध्या यादव तथा दोहा संग्रह 'हंसुली चांद की' और 'यादों की कंदील' पर प्रख्यात शायर विज्ञान व्रत ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मशहूर शायर प्रो. शहपर रसूल ने की। उन्होंने कहा कि बारादरी का हर आयोजन साहित्यिक कुम्भ होता है। उन्होंने कहा कि बारादरी की शमां की रौशनी पूरे देश और दुनिया में फैलनी चाहिए।
कार्यक्रम का शुभारंभ अंजू जैन की सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर बारादरी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन व मुशायरे में देश भर से जुटे कवियों व शायरों ने जमकर वाहवाही बटोरी। काव्य सत्र की शुरूआत संध्या यादव की कविताओं से हुआ। शायरा अलीना इतरत के कहा 'ख़िजां की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है, बहार आने की सूरत निकल भी सकती है। अभी तो चाक पे जारी है रक्स मिट्टी का, अभी कुम्हार की नीयत बदल भी सकती है'। उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी' ने फरमाया 'उसने खिड़की बंद की, बोला मुझको बाय, घूंट -धूंट कर पी गई मैं भी अपनी चाय'। विज्ञान व्रत ने फरमाया 'बस अपना ही गम देखा है, तूने कितना कम देखा है'।
डॉ. माला कपूर 'गौहर' ने अपनी इन पंक्तियों पर 'ये किसका गुमां है तसव्वुर से आगे, मुहब्बत जवां है तसव्वुर से आगे। यहां मुख़्तसर सी कहानी है अपनी, बड़ी दास्तां है तसव्वुर से आगे' पर भरपूर दाद बटोरी। श्रोताओं ने देर रात तक गीत ग़ज़लों का आनंद उठाया। इस अवसर पर श्रीमती संतोष ऑबराय, पवन अग्रवाल, निलाद्री पाल, वी. एस. मनुरकर, प्रेमलता पाठक, डॉ. रेखा अग्रवाल, अर्चना वार्ष्णेय, प्रतिभा सिंह, खुश्बू, डॉ. परिधि, दीवा, मायरा गोयल और मायरा अग्रवाल को सम्मानित किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / फरमान अली
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