संसद में धुआं प्रकरण व उठाये सवालों पर सरकार स्पष्टीकरण दे : माले
लखनऊ, 15 दिसम्बर (हि.स.)। भाकपा (माले) ने कहा है कि संसद में धुआं प्रकरण व उठाये सवालों पर केंद्र सरकार को तत्काल स्पष्टीकरण देना चाहिए। इसके बजाय सरकार विपक्षी सांसदों को निलंबित कर रही है जो गलत है।
राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि एक विपक्षी (टीएमसी) सांसद को कथित तौर पर अपनी संसदीय लॉगिन आईडी साझा करके राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोप पर लोकसभा से निष्कासित किया जा चुका है।
ऐसे में सवाल उठता है कि उस भाजपा सांसद के साथ क्या किया जाना चाहिए जिसने आगंतुकों के प्रवेश की सिफारिश की थी, जिससे लोकसभा के अंदर धुएं वाली घटना हुई? उल्टे, भाजपा सांसद के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने पर 14 विपक्षी सांसदों को ही पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया है।
माले राज्य सचिव ने कहा कि पहली नज़र में, धुआं कनस्तर प्रकरण आठ अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा ऐतिहासिक सेंट्रल असेंबली में बम फोड़ने की यादों को ताज़ा करने के लिए प्रारुपित किया गया लगता है। जिस तरह भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ब्रिटिश शासन के अन्यायों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहते थे, उसी तरह नीलम, मनोरंजन और उनके साथियों ने आज के भारत में बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ प्रदर्शन करने की कोशिश की। इन लोगों ने बेरोजगारी और महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ नारे लगाए थे। मातृभूमि की जय और तानाशाही की निंदा की थी। यह राहत की बात है कि नुकसान पहुंचाने का उनका कोई इरादा नहीं था और वे अपनी बात रखने के लिए केवल रंगीन धुआं लेकर आए थे।
माले राज्य सचिव ने कहा कि मौजूदा सरकार में यह कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि अगर किसी विपक्षी सांसद की सिफारिश का उपयोग करके आगंतुकों के पास प्राप्त किए गए होते या छह लोगों के समूह में कोई मुस्लिम नाम शामिल होता तो प्रतिक्रिया कैसी होती। तुरंत किसी आतंकवादी साजिश या 'जिहाद' से नाता जोड़ दिया गया होता। भाजपा का आईटी सेल असल मुद्दे से ध्यान भटकाने, विपक्ष को निशाने पर लेने और घटना की आड़ में किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए सक्रिय हो गया है।
कामरेड सुधाकर ने कहा कि इतिहास बताता है कि नाजी जर्मनी के दौर में वहां के संसद में आगलगी की घटना हुई थी, जिसकी आड़ लेकर हिटलर ने कम्युनिस्टों और ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां कराई थीं। बाद में जांच से उजागर हुआ था कि आगलगी की घटना हिटलर के शासन को मजबूत करने के लिए सरकार प्रायोजित थी। माले नेता ने कहा कि लोकतांत्रिक भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धुआं कनस्तर प्रकरण का इस्तेमाल भारत में जन आंदोलनों को दबाने के लिए न हो।
हिन्दुस्थान समाचार/दीपक/सियाराम
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