मन्दिरों से हटे सरकार का नियंत्रण: आलोक कुमार
वाराणसी, 04 नवम्बर (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस समय लगभग साढ़े सात हजार से अधिक मन्दिर सरकार के नियन्त्रण में हैं। दक्षिण भारतीय सरकारें इन मन्दिरों की आय से चर्च भी बनाती हैं और सरकारी कर्मचारियों का वेतन भी देती हैं, जिसे रोकना चाहिए।
आलोक कुमार शनिवार को सिगरा स्थित रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित संस्कृति संसद को सम्बोधित कर रहे थे। संस्कृति संसद के दूसरे दिन सनातन हिन्दू धर्म की मातृ केन्द्रित व्यवस्था विषयक सत्र में आलोक कुमार ने कहा कि हम लोग वक्फ कानून बदलने, अल्पसंख्यक संस्था कानून बदलने एवं मन्दिरों से सरकारी नियन्त्रण हटाने की मांग कर रहे हैं और आशा है कि निकट भविष्य में यह तीनों कानून बदलेंगे।
नेपाल राजघराने के जंगबहादुर राणा ने नेपाल में आये भूकम्प में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति शोक संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि सनातन एक नैतिक ज्ञान का कुण्ड और पूर्वी सभ्यता की नींव है। धर्म की परिभाषा अलग है। धर्म कोई रिलीजन नहीं है। धर्म का अर्थ नैतिकता है और नैतिकता इसका तात्पर्य अनुशासन से है। धर्म की परिभाषा ही सभी कर्मों के आचरण को धारण करना है।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि हिंदू संस्कृति बचाने के लिए सनातनियों भी कट्टर बनना पड़ेगा। सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि राम मंदिर तो बस एक शुरुआत है अभी तो राम राज्य लाना है। जिसके लिए हमें अभी से ही प्रयास करना चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश चंद्र ने कहा कि समाज को संगठित बनाने के लिए मंदिरों का निर्माण जरूरी है, मंदिरों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे लोग बार-बार यहां आएं। मन्दिरों को आकर्षक और स्वच्छ बनाने है, जिससे वहां आने पर लोगों को आनंद की अनुभूति हो।
इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय संस्कृति अनादिकाल से जीवंत है। आज भी भारत पूरी दुनिया को जीवन जीना सीखा रही है। अपनी सुदृढ़ता के कारण ही सनातन का कानून आज भी बना हुआ है। सत्र को अधिवक्ता अतुलेश त्रिपाठी,बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने भी विचार रखा।
इस सत्र का संचालन अखिल भारतीय सन्त समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती एवं मधुसूदन उपाध्याय ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश
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