हमारे पर्व एवं धार्मिक अनुष्ठान सामाजिक सद्भाव एवं प्रकृति केंद्रित : शशांक
--देव उत्थान एकादशी पर बलुआघाट में यमुना मॉ का पूजन अर्चन
प्रयागराज, 23 नवम्बर (हि.स.)। हमारे सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजनों की प्राचीन काल से विशाल परम्परा रही है। पूरे वर्ष प्रत्येक मास में प्रकृति एवं सामाजिक सद्भाव आधारित धार्मिक आयोजन एवं त्योहार की श्रृंखला यदि कहीं देखने को मिलती है तो वह हमारी सनातन संस्कृति और सभ्यता में ही मिलती है। हमारे प्रत्येक पर्व एवं धार्मिक अनुष्ठान प्रकृति आधारित होते हैं और हमें सामाजिकता की सदैव सीख प्रदान करते हैं।
यह बातें गुरूवार की सायंकाल देव उत्थान एकादशी के पावन पर्व पर कार्तिक महोत्सव आयोजन समिति के तत्वावधान में बलुआघाट यमुना तट पर कार्तिक महोत्सव आयोजन समिति के महामंत्री तथा उत्तर प्रदेश शासन के राज्य विधि अधिकारी शशांक शेखर पांडेय ने कही। उन्होंने पूजन के उपरान्त कहा कि ऐसे आयोजन हमारी प्राचीन संस्कृति, सभ्यता को आगे बढ़ाने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं। ऐसे धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों से हमारी आने वाली पीढ़ियां बहुत कुछ सीखती और समझती हैं।
कार्यक्रम का संयोजन करते हुए समिति अध्यक्ष महेंद्र कुमार पांडेय ने अतिथियों एवं श्रद्धालुओं का स्वागत किया और बताया कि 27 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देव दीपावली का पर्व बलुआघाट बारादरी पर धूमधाम से मनाया जाएगा। यमुना मैया की भव्य आरती, दीपदान के साथ ही उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के नामचीन कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक संध्या का कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा।
समिति की ओर से मां यमुना मैया की भव्य आरती के साथ मां यमुना मैया की पवित्र लहरों पर 21 हजार दीपदान नाव से किया गया। बारादरी की सीढ़ीयों को दीपों तथा रंगोली से सजाया गया जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा। इस अवसर पर सात आचार्यों द्वारा मां यमुना की भव्य आरती की गई। आरती से पूर्व मां यमुना की वेद मंत्रों के साथ विधिवत पूजन अर्चन किया गया। बारादरी को आकर्षक विद्युत झालरों से सजाया गया। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां यमुना मैया का दर्शन पूजन करते हुए घाट को दीपों से सजाया और दीपदान करके यमुना मैया का आशीर्वाद प्राप्त किया। ऐसा लगा जैसे लाखों सितारे जमीन पर उतर आए हों, यमुना के जाल में टिमटिमाते दिए आकर्षण का केंद्र रहे।
इस अवसर पर महोत्सव के सहसंयोजक सुरेंद्र सिंह, कृष्ण गोपाल पांडेय, प्रवीण केसरवानी, मुन्नू लाल, गोपाल कृष्ण पांडेय, आर.पी.शास्त्री, महेंद्र सिंह, शिवनाथ केसरवानी, राज अग्रहरी, कृष अग्रहरी, रामचंद्र अग्रहरी, कृपाशंकर कुशवाहा, सनी केसरी, पप्पू जायसवाल, अंगज सोनकर आदि कार्यक्रम में सहयोगी रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/पदुम नारायण
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