प्रेम के वशीभूत हैं भगवान : हेमलता शास्त्री

प्रेम के वशीभूत हैं भगवान : हेमलता शास्त्री
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प्रेम के वशीभूत हैं भगवान : हेमलता शास्त्री


लखनऊ, 07 अप्रैल (हि.स.)। गोमती तट स्थित खाटूश्याम मन्दिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन देवी हेमलता शास्त्री ने प्रेम की व्याख्या की। इसके साथ ही कृष्ण रुक्मिणी मंगल विवाहोत्सव संग फूलों की होली खेली गई। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, दिल्ली हनुमन्तधाम के महन्त वैभव शर्मा आदि ने व्यास पीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया वहीं देर सायं अहमदाबाद से आये भजन सम्राट नन्दकिशोर शर्मा ने भजन किया।

कथा व्यास देवी ने कहा कि भगवान सर्वत्र हैं किन्तु प्रेम के कारण वे प्रत्यक्ष प्रकट हो जाते हैं। नवधा भक्ति में सखा भाव देर से आता है। लीलाओं को सुनकर प्रीति जगती है, वाणी से कीर्तन और मन से सुमिरन करते हुए एक समय ऐसा आता है जब सखा भाव जाग उठता है। मन की बात गोविन्द सुनने लगते हैं। वो हममें या हम उनमें समा जाते हैं। अहं समाप्त हो जाय तो केवल परमात्मा ही शेष रहते हैं जो प्रेम के वशीभूत हैं। इसीलिए ब्रज गोपियां कहती हैं कि श्याम से दिल लगाना कोई मजाक नहीं और दिल से दुनिया को भुलाना कोई मजाक नहीं।

कथा के आरम्भ में आयोजक धूनीराम जगदीश अग्रवाल परिवार ने आरती पूजन किया। इस अवसर पर झांसी से आये मानस अग्रवाल के साथ ही सर्वश्री गिरिजाशंकर अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, जयप्रकाश गोयल, मुकेश गोयल, राघव, राम, हर्षित, पार्थ, नन्दिनी, देवांश सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। सोमवार को भक्त सुदामा कथा और व्यास पूजन के साथ कथा विश्राम लेगी।

हिन्दुस्थान समाचार/जितेन्द्र/राजेश

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