जीआईएस सर्वे से सरकार व नगर निगम की छवि हो रही धूमिल : सुरेंद्र विश्नोई

जीआईएस सर्वे से सरकार व नगर निगम की छवि हो रही धूमिल : सुरेंद्र विश्नोई
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जीआईएस सर्वे से सरकार व नगर निगम की छवि हो रही धूमिल : सुरेंद्र विश्नोई














- भाजपा पार्षद दल के उप नेता ने महापौर, उपाध्यक्ष, समस्त कार्यकारिणी को जीआईएस सर्वे को लेकर प्रस्ताव

मुरादाबाद, 21 जून (हि.स.)। भाजपा पार्षद दल के उप नेता व मुख्य सचेतक सुरेंद्र विश्नोई ने शुक्रवार को महापौर, उपाध्यक्ष व समस्त कार्यकारिणी सदस्यों के समक्ष जीआईएस सर्वे को लेकर प्रस्ताव दिया। सुरेंद्र विश्नोई ने बताया कि उनका प्रस्ताव मान लिया गया हैं और नगर निगम कार्यकारिणी ने अपनी मुहर लगा दी है।

सुरेंद्र विश्नोई ने प्रस्ताव में कहा कि उप्र सरकार की मंशा के अनुरूप प्रदेश के समस्त नगर निगमों में नगर निगमों की आय बढ़ाने हेतु जीआईएस सर्वे को गत वर्ष पूर्व प्रारम्भ किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य यह था कि नगर निगम की सीमा के अंतर्गत ऐसे कितने भवन है, जिन पर आज तक कर निर्धारण नहीं हुआ है, जिससे कि वे टैक्स के दायरे से वंचित हैं या भवन स्वामी द्वारा भवनों के आकार में परिवर्तन किया गया है। जिसकी जानकारी जीआईएस सर्वे द्वारा ज्ञात करनी थी और नगर निगम की आय कैसे बढ़े जो सरकार की मंशा थी कि ऐसे भवन जिन पर अभी तक कर निर्धारण नहीं हुआ उस भवन को पहले कर के दायरे में शामिल किया जाये, जिससे कि नगर निगम की आय बढ़ सके। परन्तु नगर निगम में ऐसा हो रहा है जो पूर्व में कर दे रहे हैं उन्ही पर दस गुना से लेकर बीस गुना तक की वृद्धि करके नोटिस दिये जा रहे हैं, जिसके कारण नगर निगम के कर स्वामियों में काफी रोष है और अनकों प्रकार की चर्चायें हो रही है, जिससे उप्र सरकार व नगर निगम की छवि धूमिल हो रही है।

सुरेंद्र विश्नोई ने महापौर, उपाध्यक्ष एवं समस्त कार्यकारिणी के सदस्यों से अनुरोध किया है कि जीआईएस रिपोर्ट को पहले सार्वजनिक रूप से सदन के समक्ष प्रस्तुत करने हेतु यह प्रस्ताव पूर्व में 11 दिसम्बर 2023 को भी कार्यकारिणी के समक्ष रखा जा चुका हैं। परन्तु उस बैठक में कोई ठोस निर्णय न होने के कारण आज यह स्थिति बन गयी हैं कि मुरादाबाद की सम्मानित जनता का विश्वास नगर निगम से उठ गया है, जैसे किसी भवन स्वामी का हाउस टैक्स एवं वाटर टैक्स रूपये 1000/- था परन्तु आज नोटिस के माध्यम से उसका टैक्स रूपये 5000/- कर दिया गया है तथा ऐसा भी देखा गया है कि 60 वर्ग मी. के भवनों का कर 4400/- रूपये तथा 120 वर्ग मी. के भवनों का कर 5400/- रूपये दर्शाया गया है, जो कि न्यायोचित नहीं है। महापौर एवं कार्यकारिणी सदस्यों से सभी पार्षदों एवं महानगर के करदाताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस प्रकिया पर रोक लगायी जाये एवं प्रत्येक वार्ड में कैम्प के माध्यम से स्वकर योजना के फार्म भरवाकर उसी कैम्प में नियमानुसार निर्णय लेकर कर निर्धारण कर दिया जाये ताकि भवन स्वामी अपना हाउस टैक्स एवं वाटर टैक्स शीघ्र जमा कर सकें।

हिन्दुस्थान समाचार/निमित जायसवाल

/बृजनंदन

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