विकास बनाम जातिवाद की तरफ बढ़ रहा गाजीपुर का चुनाव

विकास बनाम जातिवाद की तरफ बढ़ रहा गाजीपुर का चुनाव
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विकास बनाम जातिवाद की तरफ बढ़ रहा गाजीपुर का चुनाव


गाजीपुर, 21 मई (हि.स.)। पूर्वांचल के अधिकांश लोकसभा सीटों पर चुनाव अंतिम चरण में होना है। उसी में गाजीपुर जनपद भी शामिल है जहां 01 जून को मतदान होगा। ऐसे में चुनाव में महज 10 दिन से भी कम समय रह गए हैं। अब चुनाव धीरे-धीरे अपने निर्णायक मोड़ की ओर बढ़ता नजर आ रहा है।

लोकसभा गाजीपुर के निवासियों की मानें तो अब चुनाव धीरे-धीरे विकास बनाम जातिवाद के मुद्दे की ओर बढ़ चुका है। काफी बड़ी तादाद ऐसी है जो पिछले पांच वर्षों से विकास का सूखा देखकर भरभरा उठे हैं। लोगों का कहना है कि एक तरफ जहां पूरे देश में विकास के कार्य हो रहे थे। वही गाजीपुर में अपना कोई प्रतिनिधि नहीं होने से काफी नुकसान हुआ। लोग पूर्व सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री एलजी मनोज सिन्हा के 2014 से 2019 तक के 5 वर्षों के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को देखकर आज भी उन्हें धन्यवाद देते नजर आए। वहीं 2019 में अपनी गलती के लिए पछतावा करते नजर आए।

उल्लेखनीय है कि गाजीपुर लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी के रूप में बाहुबली मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी बसपा सांसद चुनाव लड़ रहे हैं। जिन्हें मुसलमान मतों के साथ ही बड़ी तादाद में यादव मतदाताओं का मत प्राप्त होने का भरोसा है। जो अपने जातिगत समीकरण के तहत मैदान में जमे हुए हैं। जबकि बसपा प्रत्याशी के रूप में डॉक्टर उमेश सिंह मैदान में है।

बसपा के परंपरागत कहे जाने वाले दलित मतदाताओं की संख्या गाजीपुर लोकसभा में सबसे अधिक मानी जाती है। वहीं डॉक्टर उमेश सिंह की जाति के ठाकुर मतदाता भी काफी बड़ी तादाद में गाजीपुर लोकसभा में है। वहीं लोकसभा क्षेत्र में काफी कम संख्या में निवास करने वाले भूमिहार बिरादरी से पारसनाथ राय भाजपा उम्मीदवार हैं। जो पूर्व केंद्रीय मंत्री जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा के विद्यार्थी जीवन के मित्र कहे जाते हैं। जातिगत आधार पर पारसनाथ राय की बिरादरी की संख्या भले ही कम हो लेकिन 2014 से 2019 तक मनोज सिन्हा के कार्यकाल में हुए गाज़ीपुर में विकास कार्य को याद कर लोग आज भी उन्हें धन्यवाद देते नजर नहीं आते हैं। इसके साथ ही पारसनाथ राय में मनोज सिन्हा की परछाई देखी जा रही है। लोगों को उम्मीद है कि पुनः तीसरी बार केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने पर गाजीपुर से भाजपा सांसद पारसनाथ राय के रहने पर मनोज सिन्हा के माध्यम से पुनः विकास की गंगा बहाई जा सकेगी।

जमानिया विधानसभा के भदौरा निवासी रामजन्म सिंह व अखण्ड प्रताप सिंह ने बताया कि मनोज सिन्हा के कार्यकाल की देन है कि हम भदौरा तहसील वासी गाजीपुर की यात्रा 30 मिनट में कर लेते हैं। जबकि इसके पूर्व सपा शासन काल में जनपद से चार-चार मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार में थे। लेकिन सड़के इतनी बदहाल थी कि गाजीपुर पहुंचने में तीन से चार घंटे लग जाते थे। वहीं भदौरा बाजार में बरसात के दिनों में नाव चलाने की नौबत आ जाती थी। 2019 लोकसभा चुनाव पर निराशा व्यक्त करते हुए कहाकि विकास पुरुष कहे जाने वाले मनोज सिन्हा को चुनाव हरा देना मतदाताओं की सबसे बड़ी भूल रही। इस बार के चुनाव में उस भूल को सुधारा जाएगा।

गाजीपुर सदर से करंडा गांव निवासी डॉक्टर देवेश सिंह व सदर विधानसभा के छावनी लाइन गांव निवासी मनोज कुशवाहा ने कहाकि इस बार के चुनाव में जातिवाद कहीं नजर नहीं आएगा। जब पूरा देश विकास की राह पर चल पड़ा है, ऐसे में गाजीपुर में किसी जातिवाद के चक्कर में हम विकास का रथ रोकना नहीं चाहेंगे। गाजीपुर जनपद के लोगों की बड़ी भूल ने पिछले पांच वर्षों में जनपद का काफी नुकसान किया है।

जखनिया विधानसभा के बुढानपुर निवासी संजय सिंह, हथियाराम लौटू प्रजापति, रणधीर चौहान, घटारो निवासी अमित यादव, कन्हैया हरिजन व परसपुर के इम्तियाज अली, पंकज चौहान इत्यादि ने भी जातिवाद पर विकास को भारी बताते हुए कहाकि मनोज सिन्हा के कार्यकाल में जनपद को नई ऊंचाइयां प्राप्त हुई। वहीं नरेंद्र मोदी सरकार में आयुष्मान कार्ड से इलाज आसान हुआ। जबकि आवास में पारदर्शिता होने से बगैर हीलाहवाली व दलाली दिए सुंदर आवास प्राप्त हो जा रहा है।

सैदपुर विधानसभा क्षेत्र निवासी दिवाकर यादव, रोशन वर्मा, अनूप जायसवाल, पंकज बरनवाल, सुहेल अहमद, पंकज सिंह इत्यादि ने कहा कि पिछले चुनाव में जातिवाद के चक्कर में गाजीपुर के लोगों ने अपना बहुत नुकसान कर लिया। इस बार पूरा मतदान विकास के नाम रहेगा, कहीं से कोई जातिवादी लहर नहीं नजर आएगी।

गाजीपुर विधानसभा निवासी योगेंद्र शर्मा, प्रांशु सिंह सोनू, अभय सिंह, शंकर यादव इत्यादि ने कहाकि एक तरफ अपराधी का भाई जो स्वयं अपराधवाद को बढ़ावा देता है, चुनाव में है। जबकि दूसरी तरफ एक शिक्षक जिस पर विकास पुरुष का हाथ है। ऐसे में हमारा निर्णय साफ है, हमारा वोट विकास के लिए ही रहेगा। कुल मिलाकर एक तरफ जहां कुछ लोगों द्वारा जाति के आधार पर चुनाव लड़ने को मत देने की बात कही गई। वहीं काफी बड़ी तादाद में लोगों ने विकास के नाम पर वोट देने की बात कही। सबसे बड़ी बात लोग 2014 से 2019 तक मनोज सिन्हा के कार्यकाल में विकास की बाढ़ व 2019 से 2024 तक अफजाल अंसारी के कार्यकाल का अकाल भूल नहीं पाए हैं। दोनों को याद कर लोग 2019 के निर्णय के लिए पछताते नजर आए। फिलहाल चुनाव का परिणाम किस करवट बैठेगा यह तो 4 जून को पता चलेगा, लेकिन मतदाताओं में जातिवाद के खिलाफ विकास को वोट देने का मन बना लिया है।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीराम

/राजेश

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