बच्चों को डिप्थीरिया से बचाने के लिए समय पर कराएं टीकाकरण : सीएमओ

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बच्चों को डिप्थीरिया से बचाने के लिए समय पर कराएं टीकाकरण : सीएमओ


— स्वास्थ्य विभाग ने की अपील, डिप्थीरिया है संक्रामक व गंभीर बीमारी

वाराणसी, 17 सितम्बर (हि.स.)। डिप्थीरिया (गलघोंटू) एक संक्रामक बीमारी है जो बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया के कारण होती है। यह किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन बिना टीकाकरण वाले बच्चों में यह सबसे आम है। यह एक संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। इससे बचाव और बच्चों को डिप्थीरिया का टीका लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने मंगलवार को बताया कि डिप्थीरिया के कीटाणु, बच्चों की श्वसन नली को नुकसान पहुंचाता है और पूरे शरीर में फैल सकता है। सामान्य लक्षणों में बुखार, गले में खरांश और गर्दन की ग्रंथियों में सूजन शामिल हैं। सीएमओ ने समस्त जनपदवासियों से अपील की है कि इस बीमार से बचाव के लिए बच्चों का समय पर टीका लगवाना सबसे ज्यादा जरूरी है। डिप्थीरिया का टीका पूरी तरह सुरक्षित है और शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। उन्होंने बताया कि इस रोग से बचने के लिए जनसमुदाय को जागरुक किया जा रहा है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी व एसीएमओ डॉ एके मौर्या ने बताया कि गलघोंटू या डिप्थीरिया एक जीवाणु (कोराइन बैवेटरिया डिप्थीरिया) द्वारा फैलने वाला संक्रामक रोग है। जो आमतौर पर गले और टान्सिल को प्रभावित करता है। ऐसे बच्चे जिन्होंने डिप्थीरिया का टीकाकरण नहीं करवाया है, उन्हें यह रोग होने की सम्भावना रहती है। इसमें गले में एक ऐसी झिल्ली बन जाती है जो सांस लेने में रुकावट पैदा करती है, जिससे गंभीर समस्या हो सकती है। इसके लक्षणों में गले में खराश, आवाज बैठ जाना या खाना निगलने में दर्द होना तथा ग्रसनी और नाक में झिल्ली बन जाना है। डिप्थीरिया के जीवाणु के संक्रमित व्यक्ति के मुंह, नाक, गले में रहते हैं। यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने और छींकने से फैलता है।

पाँच साल में पाँच बार टीकाकरण

डॉ एके मौर्य ने बताया कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम सारणी के अनुसार छह सप्ताह पर पेन्टावैलेन्ट 1, 10वें सप्ताह पर पेन्टावैलेन्ट 2 एवं 14वें सप्ताह पर पेन्टावैलेन्ट 3 का टीका लगाया जाता है। जिन बच्चों का किसी कारणवश एक वर्ष तक कोई भी टीकाकरण नहीं हो पाता है और एक वर्ष के बाद टीकाकरण कराने के लिए आते हैं तो उनको डी.पी.टी. वैक्सीन की एक-एक माह के अन्तराल पर तीन खुराक लगाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त बच्चों को 16 से 24 माह पर डी.पी.टी.-1 बूस्टर एवं 05 वर्ष पर डी.पी. टी.-2 बूस्टर के रुप में दिया जाता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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