कानपुर में सातवें दिन धूम-धाम से विदा हुए गणपति बप्पा
कानपुर,13 सितम्बर (हि.स.)। गणेश महोत्सव उत्सव के सातवें दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन जुलूस निकाला गया। शुक्रवार को 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' के जयकारे गूंजते रहे। भक्तगण गणेश को विदाई देने के लिए सड़कों पर निकल पड़े। 'भगवान गणेश' की मूर्तियों को विसर्जन के लिए ले जाते हुए देखने के लिए हजारों लोग सड़कों और मोहल्लों में जमा हुए।
गणेश महोत्सव के सातवें दिन शहर छोटे व बड़े पान्डालों और घरों से गणपति बप्पा को विदा किया गया। शहर की हर गली मोहल्ले से गणपति बप्पाा की मूर्तियों को लेकर भक्त उनको विदा करने के लिए गंगा किनारे और नहर किनारे बनाए गए कृत्रिम तालाबों में पहुंचे और उनको अगले साल तक के लिए विदा कर दिया। नगर के लगभग आठ कृत्रिम तालाबों के अलावा कुछ कस्बाई क्षेत्रों में गणपति बप्पा मोरिया..के घोष गूंजते रहे। श्रद्धालुओं ने गणेश महोत्सव के उपलक्ष्य में ढोल -नगाडों और डीजे की धुनपर आकर्षक झांकियों के साथ शोभायात्रा निकाली। निर्धारित मार्ग पर भ्रमण के बाद गणेश प्रतिमाओं का कृत्रिम तालाबों और गंगा के घाटों में विसर्जन किया गया। सड़कों पर सैकड़ों जुलूस निकले, जहां लोगों ने ढोल बजाकर, नाच-गाकर और भजन गाकर गणेश विसर्जन का आनंद लिया। भक्त रंग-गुलाल खेलते और मौज-मस्ती करते भी देखे गए। एक हजार से अधिक गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। इस बार मूर्तियों की संख्या सबसे अधिक थी। विसर्जन के लिए जाने वाले भक्त खुशी और उत्साह से भरे हुए थे। गुलाबी, लाल और पीले रंग के कपड़े पहने पुरुष भगवान को प्रसन्न करने के लिए नाच रहे थे। महिलाओं ने गीत गाकर भगवान गणेश का आशीर्वाद लिया।
गणपति के भजनों और जुलूस में बजने वाली धुनों पर लड़कियां और बच्चे नाचते नजर आए। 'सरसैया घाट' पर नजारा उत्सवी था, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु गणेश जी को अलविदा कहने के लिए एकत्र हुए थे। स्थानीय लोगों ने मूर्तियों को विसर्जित करने से पहले गणपति विसर्जन की रस्में भी निभाईं। गोला घाट पर भी यही नजारा था। भजन गाते, नाचते और रंग खेलते लोगों की भारी भीड़ ने सितंबर में होली के नजारे को फिर से जीवंत कर दिया। मिश्रा घाट, गुप्तार घाट और सिद्धनाथ घाट पर भी प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। विसर्जन के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी भी लगाई। घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। श्रद्धालु राममूर्ति मिश्रा ने बताया कि इस साल शहर में गणेश पंडालों की संख्या बढ़ने से गणपति का आनंद दोगुना हो गया है। श्रद्धालु आलोक सिंह ने बताया कि प्रतिमाओं का विसर्जन इस बात का प्रतीक है कि भगवान भक्तों के मेहमान बनकर अपने धाम लौटते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह
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