वाराणसी में गंगा का जलस्तर स्थिर, फिलहाल लहरें चेतावनी बिंदु से काफी नीचे
—जलस्तर में हुई वृद्धि से शवदाह स्थल जलमग्न
वाराणसी, 19 जुलाई (हि.स.)। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार बारिश से गंगा और उसके सहायक नदियों में जलस्तर बढ़ रहा है। जिले में गंगा का जलस्तर बढ़ने से घाटों के सम्पर्क मार्ग भी जलमग्न होने लगे हैं। दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का स्थल भी बदलना पड़ा है। शुक्रवार को सुबह आठ बजे तक गंगा का जलस्तर 62.88 मीटर दर्ज किया गया। फिलहाल लहरें चेतावनी बिंदु से काफी नीचे हैं।
वाराणसी में चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर और खतरे का निशान 71.262 मीटर है। वाराणसी में बाढ़ का उच्चतम बिंदु 73.901 मीटर रहा। 09 सितम्बर 1978 को बाढ़ ने 73.901 बिंदु को छूकर शहर को जलमग्न कर दिया था। शहर के व्यस्ततम मार्ग बेनियाबाग, नईसड़क और गोदौलिया इलाके में तब जलमग्न सड़कों पर नाव चली थी। केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार वाराणसी में गंगा की लहरें फिलहाल स्थिर हैं। राहत की बात है कि जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, फाफामउ, मीरजापुर, प्रयागराज में भी गंगा की लहरें स्थिर हैं।
गंगा के जलस्तर में वृद्धि से कई घाटों के सम्पर्क मार्ग भी जलमग्न हो गए है। गुरुवार की शाम 7 बजे तक गंगा का जलस्तर 62.882 मीटर था। उसी समय से जलस्तर स्थिर है। 15 जुलाई से 19 जुलाई के बीच गंगा का जलस्तर 1 मीटर 9 सेंटीमीटर बढ़ा है। 15 जुलाई की सुबह गंगा का जलस्तर 61.79 मीटर दर्ज किया गया था। गंगा में 5 सेंटीमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ाव दर्ज किया गया। उधर, जलस्तर में बढ़ाव से दशाश्वमेधघाट पर गंगा आरती स्थल को बदल कर ऊंचे स्थान पर करना पड़ रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह स्थल जलमग्न हो गए हैं। मणिकर्णिका घाट पर भी नीचे के स्थान, प्लेटफार्म जल में डूब गए है। दोनों श्मशान स्थलों पर ऊपर की ओर चिताएं जल रही है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / दिलीप शुक्ला
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