विश्व धरोहर दिवस पर गंगा नदी के संरक्षण की अपील
वाराणसी,18 अप्रैल (हि.स.)। विश्व धरोहर दिवस पर गुरुवार को भारत के सांस्कृतिक धरोहर की प्रतीक मां गंगा को सहेजने की अपील नमामि गंगे ने की। दशाश्वमेध घाट पर कार्यकर्ताओं के साथ नागरिकों ने भी प्रवाहित गंगा में किनारे पड़े निर्माल्य को निकाला। मणिकर्णिका घाट से दशाश्वमेध घाट तक लाउडस्पीकर से भारत की पहचान, मां गंगा के संरक्षण की अपील की गई।
विश्व को वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश दे रही सनातनी संस्कृति की धरोहर गंगा एवं उसकी सहायक नदियों को कूड़े कचरे से बचाने का आह्वान किया गया। कार्यक्रम के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि नदियों के बिना किसी भी सभ्यता का विस्तार नहीं हो सकता है। गंगा नदी भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का काम करती है। मां गंगा के बिना भारतीय सभ्यता अधूरी है। गंगा न केवल राष्ट्रीय नदी है बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी है। देश में विविध भाषाएं, धर्म, संस्कृति, संगीत होने के बावजूद कुछ ऐसी चीजें हैं जो हमें बांधे रखती हैं, एकजुट रखती हैं। गंगा उनमें से एक है। नदियों के बिना सभ्यताओं का विस्तार संभव नहीं है, वे इसकी प्राण वायु हैं। मोक्षदायिनी मां गंगा केवल नदी ही नहीं हैं बल्कि सदियों से भारत में धर्म, दर्शन, संस्कृति, सभ्यता का प्रवाह हैं। गंगा के निर्मल प्रवाह ने भारत भूमि पर हर आयाम को जोड़कर रखा है। यह नदी न केवन हमें जल देती है बल्कि पोषण एवं रोजगार का अवसर भी देती है।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दिलीप
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