वाराणसी के पूर्व वरिष्ठ जेल अधीक्षक उमेश सिंह और डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया सस्पेंड

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-प्रभारी हवालात बंदी रिहाई भी निलंबित, विभागीय जांच के भी दिए आदेश

वाराणसी, 08 अप्रैल (हि.स.)। वाराणसी के चौकाघाट स्थित जिला कारागार के पूर्व वरिष्ठ जेल अधीक्षक उमेश कुमार सिंह, डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया और प्रभारी हवालात बंदी रिहाई को निलम्बित कर दिया गया है। प्रदेश सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक कारागार प्रशासन पीवी रामाशास्त्री ने सख्त कदम उठाया है। धोखाधड़ी और साइबर अपराधों में कारागार में बंद बंदी सुनील कुमार उर्फ सुनील चौधरी को फर्जी अभिलेख तैयार कर गलत तरीके से रिहाई मामले में कार्रवाही की गई। डीआईजी कारागार वाराणसी परिक्षेत्र की प्रारंभिक जांच के बाद कार्रवाई की गई। इस मामले की जांच के लिए विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए है।

निलंबन अवधि में पूर्व जेल अधीक्षक वर्तमान में सोनभद्र जिला जेल के अधीक्षक उमेश सिंह मुख्यालय कारागार एवं डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया डॉ सम्पूर्णानंद कारागार प्रशिक्षण संस्थान से संबंद्ध रहेगी। डिप्टी जेलर ने जेल अधीक्षक उमेश सिंह पर गंभीर आरोपों के साथ प्रताड़ना का आरोप लगाया था। जेल अधीक्षक रहे उमेश सिंह पर कैदी सुनील कुमार को कोर्ट के बिना रिहाई आदेश के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रिहा करने का आरोप लगा था। जांच में प्रथम दृष्टया उमेश सिंह दोषी पाए गए हैं।

गौरतलब हो कि पूर्व जेल अधीक्षक डॉ. उमेश सिंह पर लगाए गए उत्पीड़न के आरोप जांच में सही पाए गए है। महिला डिप्टी जेलर के इन आरोपों के बाद ही जांच कराई गई थी। जांच में उमेश सिंह के खिलाफ प्रमाण मिले। जिला कारागार एंव सुधार सेवाओं के संयुक्त सचिव शिवगोपाल सिंह ने डीजी कारागार से आरोपी जेल अधीक्षक के खिलाफ अनुशासनात्म कार्रवाई करने की संस्तुति की थी। पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह और डिप्टी जेलर मीना कनौजिया के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाही की गई है। जेल अधीक्षक के खिलाफ एक अन्य महिला डिप्टी जेलर रतन प्रिया ने भी अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया था, जिसकी जांच में पुष्टि होने के बाद अनुशासनिक कार्रवाई का आदेश दिया गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

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