आजादी के बाद पहली बार 10 गांव की महिला सरपंचों ने संसद की चौखट में रखे कदम
-हमीरपुर से दस महिला सरपंचों को पंचायत से लेकर संसद तक का कराया गया सफर
-संवैधानिक प्रावधानों की समझ और संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा बनी गांवों की महिला सरपंचें
हमीरपुर, 06 जनवरी (हि.स.)। वर्ष 2047 तक विकसित भारत के संकल्प के सपने को साकार करने के लिए हमीरपुर समेत समूचे उत्तर प्रदेश से सौ गांव की महिला सरंपचों ने संसद भवन की चौखट में कदम रखे। आजादी के 76 साल बाद पहली बार यहां की गांव की कई महिला सरपंच संवैधानिक प्रावधानों की समझ और संसदीय प्रक्रिया विषयक कार्यक्रम का हिस्सा बनी।
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर, वाराणसी, अयोध्या, गोरखपुर, गोंडा, बागपत, बाराबंकी से सौ महिला ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों ने दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विका संस्थान लखनऊ की ओर से पूरे प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। इस कार्यक्रम का मकसद महिलाओं का सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक सशक्तीकरणकरना है। ये गांव की सरपंचें वर्ष 2047 तक विकसित भारत संकल्प के सपने को पूरा करेगी।
राष्ट्रीय महिला आयोग के जरिए आयोजित पंचायत से संसद तक का सफर कार्यक्रम में हमीरपुर के जिला प्रशिक्षण अधिकारी विपिन कुमार के नेतृत्व में यहां से दस महिला पंचायत प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को संसद भवन नई दिल्ली में प्रतिभाग किया। जो यह अब तक के इतिहास में पहली बार देखने को मिला है।
आजादी के 76 साल बाद पहली मर्तबा गांवों की महिला सरपंचों को पंचायत से संसद तक जोड़ने की बड़ी पहल की गई है। जिसे लेकर कार्यक्रम से लौटी महिला सरपंचों में खुशी देखी जा रही है। संसद भवन में कार्यक्रम से लौटकर आई सुमेरपुर ब्लाक के कुंडौरा गांव की सरपंच सविता देवी, मनदालसा पाल चन्दपुरवा, साधना साहू बदनपुर, वंदना सचान पौथिया, अंशिका गौतम, गुड्डो देवी समेत दस महिला सरपंचों ने शनिवार को बताया कि पहली बार संसद भवन जाने का मौका मिला है। महिला सरपंचों के लिए गांव से लेकर अब संसद भवन तक का सफर करने का मौजूदा सरकार ने अच्छी पहल की है।
हिन्दुस्थान समाचार/पंकज//राजेश
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