सीएसआईआर-एनबीआरआई में पुष्प कृषि मेला शुरू, छह राज्यों से पहुंचे किसान



लखनऊ, 19 मार्च (हि.स.)। सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ द्वारा आयोजित दो दिवसीय पुष्प कृषि मेला एवं बोगनविलिया उत्सव का उद्घाटन रविवार को वनस्पति उद्यान के केन्द्रीय लॉन में किया गया। इसमें छह राज्यों के किसान हिस्सा ले रहे हैं।

समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि, कृषि-शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि फसलों के विविधीकरण के माध्यम से उन्नत कृषि निश्चित ही किसानों की आय बढाने में सहायक है। उन्होंने कहा कि किसानों को चाहे आम प्रचलित किस्मों की जगह उन्नत फसलों की खेती करनी चाहिए। खेती को अदल-बदल कर करने से लाभप्रद होता है। एक ही तरह की खेती को छोड़ किसानों को हमेशा विभिन्न तरह की खेती पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि किसान ऐसी प्रयोगात्मक खेती समूह बना कर करें एवं एक ही प्रकार की खेती में पूरा पैसा न लगाएं तो निश्चित रूप से लाभ कमा सकते हैं।

पुष्प कृषि मेला के संयोजक डॉ. के. जे. सिंह ने बताया कि इस मेले का आयोजन सीएसआईआर के पुष्प कृषि मिशन के अंतर्गत किया जा रहा है, जिसमे पूरे भारत वर्ष के छह राज्यों के किसान समूहों से करीब 300 किसान एवं उद्यमी भाग ले रहे हैं। इस मेले का मुख्य उद्देश्य है कि संस्थान के पास उपलब्ध पुष्प कृषि तकनीकी एवं विकास, नई किस्मो की जानकारी, आदि को किसानो तक आसानी से पहुंचाया जा सके।

संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एस के तिवारी ने बोगनविलिया उत्सव की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस उत्सव में संस्थान द्वारा विकसित बोगनविलिया की दो दर्जन से ज्यादा किस्मों जैसे ‘बेगम सिकंदर’; ‘शुभ्रा’; ‘डा॰ बी॰ पी॰ पाल’; ‘अर्जुना’; ‘अर्चना’; ‘मेरी पाल्मर स्पेशल’; ‘लॉस बनोस वैरिगेटा’; ‘अरुणा’; ‘डा॰ पी॰ वी॰ साने’आदि को प्रदर्शित किया गया है। साथ ही बोगनविलिया पौधों को आकर्षक बनाये गये विभिन्न स्वरूपों जैसे बोन्साई, टोपिअरी कला आदि में भी प्रदर्शित किया गया हैं।

इस अवसर पर समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित डॉ. टी दामोदरन, डॉ. भास्कर नारायण एवं डॉ. आर. विश्वनाथन ने भी किसानों एवं अन्य उपस्थित जन-समुदाय को संबोधित किया एवं इस कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर संस्थान द्वारा महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के साथ पुष्पकृषि और अन्य अनुसंधान क्षेत्रों में साझा अनुसंधान कार्य करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किये गए। यह मेला 20 मार्च को भी आमजनता के लिए खुला रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र

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