सतत विकास और नागरिक सुरक्षा का आधार है बाढ़ प्रबंधन : जलशक्ति मंत्री

लखनऊ, 25 अप्रैल (हि.स.)। जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में पर्यावरणीय-बहाव एवं बाढ़ मैदान क्षेत्रीकरण के कार्यान्वयन (ई-फ्लो और बाढ़ क्षेत्र प्रबंधन) विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि बाढ़ प्रबंधन केवल एक संकट समाधान नहीं है, यह सतत विकास और नागरिक सुरक्षा का आधार है। प्रदेश में हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका से जान-माल की हानि का संकट रहता है, ऐसे में फ्लड-प्लेन जोनिंग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कार्य से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की स्पष्ट पहचान होगी और अनधिकृत निर्माण पर रोक लगेगी। आपदा प्रबंधन की तैयारी बेहतर होगी, एक दीर्घकालिक बाढ़ प्रबंधन नीति को लागू किया जा सकेगा।
जलशक्ति मंत्री ने कहा कि जल केवल एक संसाधन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत है। हमें इस विरासत को संजोने के लिए विचार, विज्ञान और संवेदना तीनों की आवश्यकता है। मैं आशा करता हूँ कि आज की कार्यशाला उत्तर प्रदेश में जल प्रबंधन की दिशा में एक नीतिगत मील का पत्थर सिद्ध होगी। ई-फ्लो (पर्यावरणीय-बहाव) सुनिश्चित करना इसलिए भी आवश्यक है ताकि नदियों में प्रदूषण कम हो सके। भूजल का पुनर्भरण सुचारू हो, धार्मिक और सामाजिक गतिविधियाँ सुचारू रूप से चल सकें और सबसे बढ़कर नदी एक जीवंत इकाई के रूप में बनी रह सके।
स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जल प्रबंधन को राष्ट्रीय प्राथमिकता दी गई है। अमृत सरोवर योजना इसका उदाहरण है। देश भर में 50 हजार सरोवरों के लक्ष्य के सापेक्ष, 68 हजार से अधिक सरोवरों का निर्माण हो चुका है। इसमें उत्तर प्रदेश की भागीदारी सबसे आगे रही है, हमारे प्रदेश में 16 हजार 630 अमृत सरोवर बनाए गए है। यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक जल चेतना का प्रतीक है। इस अवसर पर जलशक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद, प्रमुख सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन अनिल गर्ग, प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष अखिलेश सचान, प्रमुख अभियंता (परिकल्प एवं नियोजन) संदीप कुमार, विभिन्न संगठनों के मुख्य अभियंता, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर तथा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श.चन्द्र