प्राकृतिक खेती पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया गया आयोजन
हरदोई, 22 जून (हि.स.) । कृषि विज्ञान केंद्र हरदोई द्वितीय (भ कृ अनु पर-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल) द्वारा प्राकृतिक खेती पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया । प्रकृति की खेती को आज की आवश्यकता बताते हुए केंद्र की विषय वस्तु विशेषज्ञ अंजलि साहू ने प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों, गाय के गोबर एवं गोमूत्र का महत्व, हरी खाद, पलवार, मिश्रित खेती, वाफसा एवं सह फसली खेती के महत्व पर विस्तार से चर्चा की।
प्रथम दिन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर पंकज नौटियाल ने बागवानी फसलों में प्राकृतिक खेती के उपयोग की जानकारी देते हुए किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने हेतु आग्रह किया। सनई ढैंचा तथा दलहनी फसलों द्वारा हरी खाद बनाकर खेत में डालकर मिट्टी को उर्वर बनाया जा सकता है । इसकी जानकारी केंद्र के विशेषज्ञ डॉक्टर त्रिलोकनाथ राय द्वारा दी गई। मडुवा एवं सावा तथा धान की खेती खरीफ मौसम में किस प्रकार की जा सकती है इसकी जानकारी केंद्र की विशेषज्ञ डॉ त्रिलोकी सिंह ने दी। बीजा अमृत का उपयोग करने की जानकारी एवं पांच गव्य के महत्व पर प्रकाश इंद्र के विशेषज्ञ मोहित सिंह द्वारा डाला गया।
कार्यक्रम के दौरान किसानों को बीजामृत एवं जीवामृत एवं धन जीवामृत दशपरणी एवं अग्नि अस्त्र आदि बनाकर उपयोग की संपूर्ण विधि की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में टीकरा कला, बसंतपुर, गंगापुर परीक्षत खेड़ा, मदारी खेड़ा, कुकरा आदि गांवों के किसान एवं महिलाएं उपस्थित रहीं।
हिंदुस्थान समाचार/अंबरीष/बृजनंदन
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