देश की खुशहाली और तरक्की की दुआ के साथ अगहनी जुमे की नमाज अदा
वाराणसी, 08 दिसम्बर (हि.स.)। धर्म नगरी काशी में मुल्क की खुशहाली और अमन-चैन की दुआ के लिए ऐतिहासिक अगहनी जुमे की नमाज शुक्रवार को अदा की गई।
बुनकर बिरादराना तंजीम बावनी, बाईसी के अगुआई में अगहनी जुमे की नमाज में शामिल होने के लिए बुनकर अपनी मुर्री (लूम) बंद कर नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह में जुटे। चौकाघाट स्थित मछली मंडी ईदगाह में और पुराना पुल स्थित ईदगाह पुलकोहना में बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिजी के सदारत में 450 साल पुरानी अगहनी जुमे की नमाज रवायत के अनुसार अदा की गई। मुर्रीबंद का ऐलान सदर बावनी पंचायत के सरदार की तरफ से किया गया था।
अगहनी जुमे की नमाज़ मौलाना मुफ्ती अबु कासिम नोमानी शैफूल ने पढाई और नमाज़ के बाद दुआखानी कर मौलाना ने मुल्क की तरक्की के लिए दुआएं की। आपस में भाईचारगी बनी रहे, बुनकर भाइयों के कारोबार में बरक्कत, मुल्क में सभी को रोजगार मिले, सब को नेक राह पर चलने की दुआ की। अगहनी जुमा की नमाज में बुनकर बिरादराना तंजीम बाइसी, बावनी, चौतीसो, बारहों, पांचों की तंजीम के काबिना के लोग शामिल हुए।
बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिजी ने बताया कि यह नमाज सिर्फ बनारस में ही पढ़ी जाती है। लगभग साढ़े चार सौ साल पहले देश मे भयंकर सूखा पड़ा था। बारिश न होने से हाहाकार मचा हुआ था। बेहाल किसान खेती नहीं कर पा रहे थे। बुनकरों के बुने कपडे़ बिक नहीं रहे थे। हर तरफ भुखमरी का आलम था। तब बुनकरों ने कारोबार को बंद करके अगहन महीने में जुमे के दिन ईदगाह में इकट्ठा होकर नमाज अदा कर अल्लाह ताला के बारगाह में दुआएं मांगी थी। इसके बाद अल्लाह के रहम-ओ-करम से बारिश हुई और देश में खुशहाली आई। बुनकरों के कारोबार भी चलने लगे तब से यह परंपरा बनारस में चलती आ रही है। नमाज में एक साथ सजदे में सिर और फिर बारगाहे इलाही में एक साथ दुआ के लिए हाथ उठते हैं। नमाज के बाद बुनकरों ने गन्ने की जमकर खरीदारी की।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दिलीप
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।