फतेहपुर: सिद्धपीठ ताम्बेश्वर बाबा के दर्शन के लिए भक्तों में दिखा उत्साह

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फतेहपुर: सिद्धपीठ ताम्बेश्वर बाबा के दर्शन के लिए भक्तों में दिखा उत्साह


- भोलेबाबा के दर्शन से भक्तों की होती सभी मनोकामनाएं

- मान्यता यह कि शिव मंदिर के दर्शन मात्र से छूट जाते थे कैदी

- ब्रिटिश हुकूमत ने यह जानकर कैदियों के बाहर निकास द्वार की बदल दी थी दिशा

फतेहपुर, 04 जुलाई (हि.स.)। सावन मास के शुरू होते ही मंगलवार को जिलेभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है। सुबह से ही भोलेबाबा के दर्शन के लिए कतारों में भक्त लग गये और भोलेबाबा की पूजा अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की दुआ मांगने के लिए उतावले दिखे, साथ भोलेबाबा की जयकार करते रहे।

शहर मुख्यालय स्थित सिद्धपीठ ताम्बेश्वर बाबा के मंदिर की मान्यता तो यहां तक है कि ब्रिटिश काल में न्यायालय जाते समय यदि कैदी ने मंदिर को देख कर भोलेबाबा से मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना की तो वह कैदी छूट जाता था। ऐसा जानकर जेल का निकास द्वार दक्षिण दिशा की ओर कर दिया गया था जबकि मंदिर कारागार के पूर्व दिशा में तीन सौ मीटर दूर स्थित है।

आज भोर पहर से ही सिद्धपीठ ताम्बेश्वर बाबा के मंदिर में रूद्राभिषेक के लिए कावरियों द्वारा गंगाजल लाकर भोलेबाबा का जलाभिषेक करने की भीड़ लग गयी। भक्तों की भीड़ देख मंदिर व जिला प्रशासन द्वारा चुस्त-दुरस्त व्यवस्था की गयी है। मंदिर द्वार पर महिला व पुरुष भक्तों को अलग-अलग कतारों खड़ा किया गया है। जिससे किसी प्रकार अव्यवस्था व अनहोनी न होने पाये।

भक्त जयशंकर गुप्ता जो अपने परिवार के साथ दर्शन के लिए आये थे, उन बताया कि जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा व भक्ति से तांबेश्वर बाबा के दरबार में आता है और कोई कामना करता है, भगवान भोले उसकी सारी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। ताम्बेश्वर बाबा की कृपा सब पर रहती है। मैं हर वर्ष पूरे सावन मास प्रत्येक दिन भगवान शिव के दर्शन करने आ रहा हूं। मेरे परिवार में उनकी कृपा से किसी प्रकार की कोई परेशानी है।

मंदिर के मुख्य पुजारी राघवेंद्र पाण्डेय ने बताया कि मंदिर प्रशासन की तरफ़ से धर्मेंद्र सिंह जनसेवक शिवप्रताप शुक्ला, अभिषेक श्रीवास्तव सहित कई लोगों दर्शन व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी दी गई है।

मंदिर के महात्म्य के बारे में पुजारी राघवेंद्र पांडेय ने बताया कि मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है.यहाँ स्थापित शिवलिंग के इतिहास के विषय में सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है। हालांकि यह बात हमेशा से चर्चा में है औऱ बड़े बुजुर्ग बताते भी हैं कि अंग्रेजों में समय जो भी निर्दोष कैदी जेल में बन्द होते थे वह इस मंदिर के दर्शन मात्र से स्वत: ही छूट जाते थे। दरअसल मंदिर के नजदीक ही लगभग तीन मीटर दूर पश्चिम दिशा में जिला कारागार स्थित है औऱ अंग्रेजों के समय में उसका एक दरवाजा ताम्बेश्वर मंदिर की तरफ था। उस दरवाजे से मंदिर का दर्शन हो जाता था और जो भी कैदी वहां से मंदिर का दर्शन कर लेता था वह न्यायालय से बरी हो जाता था या उसे जमानत मिल जाती थी। धीरे-धीरे यह बात जब जेल प्रशासन को पता चली तो उन्होंने जेल के उस द्वार को बन्द करा दिया और दक्षिण दिशा की तरफ नया द्वार बनावाया दिया। जिससे कैदी छूटने न पायें।

मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था पर क्षेत्राधिकारी वीर सिंह ने बताया कि सावन के मौक़े पर भक्तों की भारी भीड़ के ध्यान में रखकर सुरक्षा की सारी तैयारियां पूर्ण कर ली गईं हैं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस फोर्स की तैनाती रहेगी। उन्होंने कहा कि किसी को भी दर्शन करने में कोई दिक्कत नहीं जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार/देवेन्द्र

/मोहित

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